भारतीय खिलौना बाजार (सौजन्य : गूगल )
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में शनिवार को क्लस्टर डेव्हलप्मेंट पर ध्यान देते हुए भारत के खिलौनों का ग्लोबल सेंटर बनाने की प्लानिंग का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार की इस योजना क्लस्टर, स्किल और मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकसित करने पर जोर देगी, जो क्वालिटी वाले, एक्स्ट्रा, इनोवेटिव और ड्यूरेबल खिलौने बनाएगी, जो मेड इन इंडिया ब्रांड को रिप्रेसेंट करेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि खिलौनों के लिए नेशनल एक्शन प्लान पर निर्माण करते हुए खिलौनों का ग्लोबल सेंटर बनाने के लिए एक प्लान लागू करेंगे। इन प्रोडक्ट्स की ग्लोबल डिमांड में समग्र गिरावट आने के कारण भारत का टॉय एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2021-22 के 17.7 करोड़ डॉलर से घटकर 2023-24 में 15.2 करोड़ डॉलर रह गया है।
सरकार के द्वारा अनिवार्य क्वालिटी नॉर्म्स और कस्टम ड्यूटी बढ़ाने जैसे कदमों ने भारत के लोकल टॉय मेकर्स को मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने और पड़ोसी देश चीन से इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने में काफी मदद की है। इंडस्ट्री को ग्लोबल ट्रेड परिदृश्य में लंबे समय से चैलेंजेस का सामना करना पड़ रहा है, कई सालों से ये लगातार खिलौनों का नेट इंपोर्टर्स रहा है।
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10 सालों से भी ज्यादा समय तक, भारत अपने खिलौनों के इंपोर्ट के मामले में लगभग 76 प्रतिशत चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर था। चीन से खिलौनों के लिए भारत का इंपोर्ट एक्सपेंस वित्त वर्ष 2021-23 के 21.4 करोड़ डॉलर से घटकर 2023-24 में 4.16 करोड़ डॉलर रह गया, जिससे भारत के खिलौना के इंपोर्ट के मामले में चीन की हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से घटकर 64 प्रतिशत रह गई है, जो इंटरनेशनल टॉय मार्केट में भारत की बढ़ती प्रतिस्पर्धी कैपेसिटी को दर्शाता है।