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PMI की रिपोर्ट में हुआ साफ, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के अगस्त के कारोबार में हुई मामूली बढ़त

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के कारोबार में अगस्त महीने में गिरावट आयी है। दूसरी तिमाही में नए कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन विस्तार की गति सात महीने के निचले स्तर पर आ गई।

  • By अपूर्वा नायक
Updated On: Sep 02, 2024 | 03:03 PM

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ( सौजन्य : सोशल मीडिया )

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नई दिल्ली : अगस्त के महीने में भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के ग्रोथ रेट की गति में कमजोरी देखने के लिए मिली है। बताया जा रहा है कि जनवरी के महीने के बाद से ही उत्पादन व बिक्री सबसे कम दर से बढ़ी है। सोमवार को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर एक मासिक सर्वेक्षण सामने आया है, जिसके अनुसार पता चला है कि कॉम्पीटीटिव प्रेशर और मुद्रास्फीति के घटने की टेंशन ने कारोबारियों के विश्वास को भी प्रभावित किया है।

मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआई) अगस्त में 57.5 रहा, जो जुलाई में 58.1 था । पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

विस्तार की गति धीमी रही

एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘ अगस्त में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार जारी रहा, हालांकि विस्तार की गति थोड़ी धीमी रही। नए ठेकों और उत्पादन में मुख्य रुझान देखने को मिला, हालांकि कुछ कारोबारियों ने मंदी के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा को एक मुख्य वजह बताया।”

दबाव में कमी से लाभ हुआ

सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नए कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन विस्तार की गति सात महीने के निचले स्तर पर आ गई। इसी तरह, नए निर्यात ऑर्डर 2024 कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के बाद से सबसे कम गति से बढ़े। कीमतों के मोर्चे पर, वस्तु उत्पादकों को अगस्त के दौरान लागत दबाव में कमी से लाभ हुआ।

कारोबारी दृष्टिकोण में आयी नरमी

सर्वेक्षण के अनुसार, कारोबारी आत्मविश्वास में कमी आई है जो अप्रैल 2023 के बाद से सबसे कम निचले स्तर पर है। भंडारी ने कहा, ‘‘ प्रतिस्पर्धी दबावों और मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के कारण अगस्त में वर्ष के लिए कारोबारी दृष्टिकोण में थोड़ी नरमी आई है।”

कृषि व सेवा क्षेत्र का खराब प्रदर्शन

इस बीच, शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रैल-जून 2024-25 में घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई। यह 15 महीने में सबसे कम है। इसकी मुख्य वजह कृषि व सेवा क्षेत्र का खराब प्रदर्शन रहा। अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.2 प्रतिशत बढ़ा। एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।

( एजेंसी इनपुट के साथ )

Indian manufacturers expect modest growth in new business and production in august

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Published On: Sep 02, 2024 | 12:46 PM

Topics:  

  • Manufacturing
  • Manufacturing activity

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