भारतीय अर्थव्यवस्था Vs जापान अर्थव्यवस्था (सौ. सोशल मीडिया )
पिछले हफ्ते ही भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी खबर सामने आयी थी। जिसके अनुसार ये जानकारी मिली थी कि इंडियन इकोनॉमी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने इस बात की जानकारी दी थी।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अब हमारी देश की इकोनॉमी 4 ट्रिलियन डॉलर की हो गई हैं। आज भारतीय अर्थव्यवस्था जापान से आगे निकल गई है। अब सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत के आगे हैं।
ये उपलब्धि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ, पॉलिसी सुधारों और ग्लोबल इंवेस्टमेंट के लिए आकर्षण को दिखाती है। जिसका सीधा मतलब ये है कि भारत ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर इकोनॉमिक इफेक्ट, इंवेस्टमेंट और जियो पॉलिटिकल क्रेडेंशियल के मामले में काफी मजबूत स्थिति में हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि एक इंवेस्टमेंट के टारगेट के रुप में भारत दांव लगाया जा सकता है। भारत में अपने कर्जों का भुगतान करने की भी मजबूत क्षमता है और देश में इकोनॉमिकल डेव्हलप्मेंट के मजबूत फंडामेंटल्स मौजूद हैं। हालांकि ये सब होने के बाद भी भारत ऐसे कई मामले में है, जिसमें जापान से अभी भी पीछे हैं, आइए हम जानते हैं कि वो कौन से परिदृश्य है, जिसमें जापान हमसे आगे हैं।
किसी भी देश की प्रति व्यक्ति आय देश की टोटल जीडीपी को उसकी जनसंख्या से विभाजित करके निकाली जाती है, जिससे आम नागरिक की एवरेज सैलरी लेवल का पता चलता हैं।
भारत की स्थिति : फिलहाल साल 2025 में भारत की पर कैपिटा इनकम तकरीबन 2,800 से 2,937 प्रति डॉलर हैं, जो जापान की प्रति व्यक्ति आय 33,138 से 53,059 प्रति डॉलर की तुलना में 12 गुना कम हैं। भारत की जनसंख्या लगभग 140 करोड़ होने के कारण प्रति व्यक्ति जीडीपी काफी कम हो जाती हैं।
टेक्नोलॉजी और रिसर्च देश की इनोवेटिव कैपेसिटी और ग्लोबल कॉम्पीटिशन को दर्शाते हैं। यूनेस्को के अनुसार, भारत का रिसर्च और डेवलप्मेंट पर खर्च जीडीपी का सिर्फ 0.7 प्रतिशत ही हैं। भारत इंफोर्मेंशन टेक्नोलॉजी और डिजिटल सर्विसेज में मजबूत हैं, लेकिन हार्डवेयर और मेक इन इंडिया टेक्नोलॉजी में काफी पीछे हैं। हालांकि भारत ने स्पेस, मिलिट्री और फिनटेक के मामलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसके उलट, जापान रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए जीडीपी का 3.3 प्रतिशत खर्च करता है। इसके अलावा रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स में जापान ग्लोबल लीडर है।
किसी भी देश में रोजगार की स्थिति वहां की जॉब क्वालिटी, इकोनॉमिक ग्रोथ और सामाजिक स्थिरता को दर्शाती है। जो देश अपनी सभी कामकाजी जनसंख्या को नौकरी देने में कामयाब होते हैं वहां सामाजिक स्थिरिता और संतुष्टि की दर ज्यादा होती है।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के अनुसार साल 2023 में भारत में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत थी। असंगठित क्षेत्रों में स्थिति और भी ज्यादा बुरी है। यहां 90 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है लेकिन यहां सैलरी कम है और इनसिक्योरिटी ज्यादा है। काम की परिस्थितियां अनहेल्दी और इनसिक्योरिटी को आमंत्रण देने वाली होती है।
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भारत के मुकाबले में जापान में कम बेरोजगारी है और यहां ऑर्गनाइज्ड एम्पॉल्यमेंट सिस्टम है, जो देश को स्थिरता प्रदान करती है। जापान की बेरोजगारी दर 2.5 प्रतिशत है। हालांकि भारत इस स्थिति में लगातार इसे बेहतर करने का काम कर रहा है। भारत फॉर्मल एम्पॉल्यमेंट के अवसर बढ़ाने, स्किल डेव्हलप्मेंट और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत कर रहा है। जिसके चलते लोगों को रोजगार मिल रहा हैं।