हिंडनबर्ग रिसर्च वर्सेस अदाणी समूह ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने एक बार फिर देश के सबसे बड़े बिजनेसग्रुप अदाणी समूह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। इस बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर बाजार नियामक सेबी पर पड़ा है। इस शॉर्ट सेलर फर्म के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर भी आरोप लगाए गए है।
हिंडनबर्ग के द्वारा जारी की गई इस नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसे संदेह है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा का कारण यह हो सकता है कि बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी थी। इस रिपोर्ट को पेश करने के बाद हिंडनबर्ग रिसर्च पर भी आरोप लगा है कि ये अदाणी ग्रुप से बदला लेने के लिए ये रिपोर्ट को जारी किया गया है। ऐसे कुछ पाइंट्स है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि ये हिंडनबर्ग की बदले की भावना हो सकती है।
हिंडनबर्ग कंपनी ने इससे पहले भी अदाणी समूह पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद इस ग्रुप को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को जारी की गई अपनी पहली रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि कंपनी ने शेयरों को लेकर हेर-फेर की है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 PIL दाखिल की गई थीं, इन अपीलों में अदाणी समूह के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर सेबी को जांच करने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बाद 25 अगस्त, 2023 को SEBI ने अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी थी, जिससे हिंडनबर्ग को तगड़ा झटका लगा था।
25 अगस्त, 2023 को SEBI के द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट के अनुसार, बाजार नियामक सेबी ने बताया था कि अदाणी समूह पर लगाए गए 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी हो गई है, वहीं बाकी बचे 2 मामलों में विदेशी संस्थाओं के द्वारा देरी के चलते जांच में परेशानी हो रही है। ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद सेबी ने अदाणी समूह को क्लीनचिट दे दी थी और साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च पर कई सारे गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों में सबसे मुख्य आरोप सेबी के कोड ऑफ कंडक्ट फॉर रिसर्च एनालिस्ट रेगुलेशंस के उल्लंघन करने का था।
बाजार नियामक सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में सेबी ने कहा था कि हिंडनबर्ग के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के कारण अदाणी समूह को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। साथ ही इस रिपोर्ट में इस रिसर्च पर स्थानीय सुरक्षा कानूनों के उल्लघंन का भी आरोप लगा था, क्योंकि ये रिसर्च कंपनी भारत की स्थानीय कंपनी के रुप में लिस्टेड नहीं है।
बाजार नियामक सेबी के द्वारा हिंडनबर्ग पर लगाए गए आरोपों ने इस शॉर्ट सेलर फर्म को हिला कर रख दिया था। सेबी के द्वारा की गई कारवाई के कारण हिंडनबर्ग रिसर्च के मुंह पर ताला लग गया था।
शेयर बाजार के विश्लेषकों ने हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट को सेबी के खिलाफ बदले की कारवाई बताया है। हिंडनबर्ग की अदाणी ग्रुप के खिलाफ जारी की गई पहली रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में उथल-पुथल मच गई थी, जो अब -जाकर स्थिर हो रही थी। अदाणी ग्रुप के शेयरों की बाजार में वापसी होने के बाद फिर से कंपनी के शेयरों को प्रभावित करने के लिए हिंडनबर्ग ने ये रिपोर्ट जारी की है। हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च भारत में रजिस्टर्ड नहीं है, इसीलिए वो किसी भी प्रकार की कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते है, इसीलिए कंपनी ने इस बार सेबी को निशाना बनाया है।