बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI के खिलाफ जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का प्रदर्शन
नई दिल्ली: बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के कर्मचारी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। एक बयान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों की यूनियनों और एसोसिएशनों के सदस्य 16 दिसंबर को देश भर में दोपहर के भोजन के दौरान विरोध प्रदर्शन करेंगे। बयान में आगे कहा गया कि बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने के प्रस्ताव को वापस लेना चाहिए।
कर्मचारी संगठनों ने कहा कि पिछले रुझानों से संकेत मिलता है कि एफडीआई सीमा बढ़ाने से देश में बीमा पहुंच में उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है और इससे बीमा क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता तथा जवाबदेही के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं। विरोध प्रदर्शन में जीआईईएआईए, एआईआईईए, अखिल भारतीय सामान्य बीमा एससी/एसटी कर्मचारी परिषद, आईओबीसीईडब्ल्यूए, आईएनटीयूसी और एआईजीआईई कांग्रेस के सदस्य शामिल होंगे।
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बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में कुछ अहम बदलाव करने का प्रस्ताव लाया था। इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 100 फीसदी तक बढ़ाना, चुकता पूंजी (जो कंपनियों का जमा किया हुआ पैसा होता है) को घटाना और समग्र लाइसेंस (जो सभी प्रकार की बीमा गतिविधियों को कवर करता है) की व्यवस्था करने जैसे बदलाव शामिल हैं। ये बदलाव बीमा कानून, 1938 में किया जाना है। इसके लिए वित्तीय सेवा विभाग ने 10 दिसंबर तक लोगों से अपनी राय देने को कहा था।
सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी जाएगी। डीएफएस ने बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर दूसरी बार सार्वजनिक परामर्श मांगा है।
वित्त मंत्रालय ने इससे पहले दिसंबर, 2022 में भी बीमा अधिनियम, 1938 और बीमा विनियामक विकास अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। बीमा अधिनियम, 1938 देश में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख कानून है। मंगलवार को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, नागरिकों के लिए बीमा की पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने, बीमा उद्योग के विस्तार और विकास को बढ़ावा देने तथा व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए बीमा कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है।