प्रतीकात्मक तस्वीर
Share Market Outlook: घरेलू शेयर बाजार के लिए जुलाई का महीना काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इस महीने के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) शुद्ध रूप से बिकवाल की भूमिका में रहे। इस मामले पर विश्लेषकों ने रविवार को कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव कम होने के बाद विदेशों निवेशकों को फ्लो जारी रहने की उम्मीद है। एनएसडीएल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने एफपीआई ने कुल 17,741 करोड़ रुपए की निकासी की, जो अप्रैल, मई और जून के दौरान लगातार तीन महीनों के निवेश के बाद एक बदलाव है। मई में 2025 में अब तक का सबसे अधिक एफपीआई निवेश देखा गया, जबकि जनवरी में सबसे बड़ी बिकवाली देखी गई, जिसमें 78,027 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली हुई।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि जुलाई में एफपीआई ने एक्सचेंजों के जरिए 31,988 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। इस बिकवाली के साथ 2025 तक कुल बिक्री का आंकड़ा 13,1876 करोड़ रुपए हो गया है। हालांकि, प्राइमरी मार्केट के जरिए इक्विटी खरीदने की एफपीआई की रणनीति जुलाई में भी जारी रही और मासिक खरीद का आंकड़ा 14,247 करोड़ रुपए रहा। साल 2025 में अब तक प्राइमरी मार्केट के जरिए एफपीआई का कुल निवेश 36,235 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
विजयकुमार ने कहा कि यह एक स्थिर रुझान है जो उचित मूल्यांकन के लिए एफपीआई की प्राथमिकता को दर्शाता है। पिछले हफ्ते, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए 10-12 दिन की समय सीमा दी थी। ऐसा न करने पर रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध और द्वितीयक शुल्क लग सकते हैं, जिससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस कदम ने अल्पावधि में मार्केट सेंटीमेंट को प्रभावित किया है।
विजयकुमार ने आगे कहा कि डॉलर सूचकांक में 100 अंक तक की तेज ग्रोथ एक प्रतिकूल स्थिति है, जिसका निकट भविष्य में विदेशी निवेशकों के फ्लो पर असर पड़ सकता है। बाजार की धारणा यह है कि शुरुआती उथल-पुथल के बाद, अगले दौर की बातचीत के बाद भारत और अमेरिका के बीच एक समझौता हो जाएगा। स्थिति सामान्य होने के बाद एफपीआई प्रवाह में एक स्थिर रुझान देखने को मिलेगा।
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विजय कुमार ने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों में एफपीआई की बिकवाली ने आईटी सूचकांक को नीचे ला दिया और फार्मास्यूटिकल्स से जुड़ी अनिश्चितता ने भी फार्मा सूचकांक को प्रभावित किया, जबकि इस क्षेत्र की कई कंपनियों के नतीजे अच्छे रहे।