संसद में न्यू इनकम टैक्स बिल पेश करती हुईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
New Income Tax Bill 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सोमवार, 11 अगस्त को लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 का संशोधित संस्करण पेश किया, जिसमें भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली पार्लियामेंट की सेलेक्ट कमेटी की अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया गया है। विपक्ष के हंगामे के बीच यह प्रस्ताव पारित हुआ। विधेयक पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि आयकर से जुड़े सही नियमों का अर्थ बताने के लिए ये बदलाव ज़रूरी थे। मसौदे की प्रकृति, वाक्यांशों के संरेखण, परिणामी परिवर्तनों और परस्पर संदर्भों में सुधार किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि भ्रम से बचने के लिए पहले वाले विधेयक को वापस ले लिया गया था।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह अपेडेट बिल निष्पक्षता और स्पष्टता में सुधार लाने के लिए बनाया गया है और साथ ही कानून को मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप भी बनाया गया है। अब कानून बनाने वालों के पास एक ही अपडेटेड वर्जन होगा जिसमें सभी सुझाए गए बदलाव शामिल होंगे।
संशोधित ड्राफ्ट में पार्लियामेंट सेलेक्ट कमिटी की 285 सिफ़ारिशें शामिल हैं। इसका उद्देश्य टैक्स प्रक्रियाओं को सरल बनाना, पहले की कमियों को दूर करना और देश के इनकम टैक्स स्ट्रक्चर को संभावित रूप से नया रूप देना है। पिछले हफ़्ते, सरकार ने औपचारिक रूप से आयकर विधेयक, 2025 को वापस ले लिया था, जिसे मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 के जगह पर 13 फ़रवरी को लोकसभा में पेश किया गया था।
बीजेपी सांसद विजयंत पांडा के अनुसार, नया कानून भारत के दशकों पुराने टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाएगा, कानूनी उलझनों को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं तथा एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद करेगा। 1961 में लागू वर्तमान आयकर अधिनियम में 4,000 से ज़्यादा संशोधन हो चुके हैं और अब इसमें पांच लाख से ज़्यादा शब्द हैं, जिससे यह बेहद जटिल हो गया है। उन्होंने आगे बताया कि नया विधेयक कानून को लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाएगा, जिससे आम टैक्सपेयर्स के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं ज़्यादा आसान होगा। समिति ने ड्राफ्ट तैयार करने में कई त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाया था और अस्पष्टता कम करने के लिए संशोधनों का सुझाव दिया था।
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संशोधित विधेयक में सभी करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए स्लैब और दरों को समान रूप से समायोजित किया गया है। सरकार ने कहा कि नया ढांचा मध्यम वर्ग के लिए करों में काफ़ी कमी लाएगा, जिससे उनके पास ज़्यादा खर्च करने योग्य आय होगी और उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।