प्रतीकात्मक तस्वीर
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने साल 2025 में अपने मेंबर्स के लिए कई बड़े बदलाव किए हैं। जिसका मकसद इस प्रोसेस को आसान, डिजिटल और ट्रांसपरेंट बनाना है। ये चेंज ना सिर्फ एम्पॉलयी के लिए काफी सुविधाजनक हैं। बल्कि उनकी सेविंग्स और पेंशन से जुड़े मामलों पर असर कर सकते हैं। आइए इन 5 प्रमुख चेंजेंस के बारे में जानते हैं।
पहले नौकरी बदलने पर पीएफ ट्रांसफर करना पहले काफी कॉम्प्लीकेटेड और लंबी प्रोसेस थी, जिसमें कंपनी की परमिशन जरूरी होती थी। हालांकि 15 जनवरी 2025 से ईपीएफओ ने इसे आसान कर दिया है। अब ज्यादातर मामलों में पुरानी या नई कंपनी की परमिशन की जरूरत नहीं होती है। अगर आपका यूएएन आधार के लिंक है और डिटेल्स यानी नाम, डेट ऑफ बर्थ, जेंडर मिलते हैं, तो पीएफ ट्रांसफर तेजी से हो सकता है। इससे आपकी सेविंग्स का मैनेजमेंट और कंटीन्यूटी बनी रह सकती है।
1 जनवरी 2025 से ईपीएफओ ने सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम शुरू किया है। अब पेंशन सीधे किसी भी बैंक अकाउंट में एनपीसीआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से भेजी जाने वाली है। पहले पेंशन पेमेंट के लिए पेंशन पेमेंट ऑर्डर यानी पीपीओ को एक रिजनल ऑफिस से दूसरे में ट्रांसफर करना पड़ता था, जिससे देरी हुआ करती थी। अब ये प्रोसेस खत्म हो गई है। इसके अलावा, नए पीपीओ को यूएएन से लिंक करना कंप्लसरी होगा, ताकि पेंशनर्स डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट आसानी से डिपॉजिट कर सकते हैं।
अब ईपीएफओ में अपनी प्रोफाइल अपडेट करना काफी सरल हो गया है। अगर आपका यूनिवर्सल अकाउंट नंबर यानी यूएएन आधार से लिंक है, तो आप अपने नाम, डेट ऑफ बर्थ, जेंडर, नेशनलिटी, पेरेंट के नाम, मैरिटल स्टेट्स, पति-पत्नी का नाम और नौकरी शुरू करने की तारीख जैसी जानकारी ऑनलाइन बिना किसी डॉक्यूमेंट के अपडेट कर सकते हैं। हालांकि, जिनका यूएएन 1 अक्टूबर 2017 से पहले बना था, उन्हें कुछ मामलों में कंपनी की परमिशन लेनी पड़ सकती है। ये चेंज कर्मचारियों को समय और मेहनत बचाने में मदद कर सकता है।
16 जनवरी 2025 को ईपीएफओ ने ज्वाइंट डिक्लेरेशन यानी जेडी की प्रोसेस को सरल बनाने के लिए नई गाइडलाइन जारी किए। अब गलत या फिर अधूरी जानकारी को ठीक करना आसान होगा, जिससे दावों की प्रोसेस फास्ट और ट्रांसपरेंट हो सकती है। ये चेंज कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए ईपीएफओ सर्विस को और बेहतर बना सकते हैं।
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ईपीएफओ ने उन कर्मचारियों के लिए पेंशन से जुड़े नियमों को साफ किया है, जो अपनी हायर सैलरी के आधार पर पेंशन लेना चाहते हैं। अब सभी के लिए एक जैसी प्रोसेस अपनायी जाएगी। अगर कर्मचारी की सैलरी तय सीमा से ज्यादा है और वे एडिशनल कंट्रीब्यूशन देते हैं, तो वे हायर सैलरी पर पेंशन ले सकते हैं। प्राइवेट ट्रस्ट चलाने वाली कंपनियों को भी ईपीएफओ के रूल्स का पालन करना होगा। ये रूल पेंशन की राशि बढ़ाने में मदद कर सकता है।