UPI ट्रांजेक्शन।
UPI Transactions: भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की रफ्तार ने डिजिटल पेमेंट्स को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। हालांकि, यह पूरे देश में एक समान नहीं है। हालिया एक रिपोर्ट के अनुसार नवंबर के आंकड़ों को जनसंख्या से समायोजित करने पर पता चलता है कि बड़े राज्यों में महाराष्ट्र प्रति व्यक्ति यूपीआई लेन-देन में बिहार से लगभग सात गुना आगे है। तेलंगाना त्रिपुरा से छह गुना अधिक है। यह असमानता देश में बनी डिजिटल डिवाइड को उजागर करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई अब महीने में 20 अरब से अधिक लेन-देन संभालता है। डिजिटल पेमेंट्स का 85 फीसदी हिस्सा रखता है, लेकिन उपयोग में तेजी आय, शहरीकरण और मर्चेंट एक्सेप्टेंस पर निर्भर करती है। जनसंख्या को ध्यान में रखकर छोटे और शहरी क्षेत्र आगे हैं। दिल्ली प्रति व्यक्ति मासिक 23.9 लेन-देन के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद गोवा (23.3), तेलंगाना (22.6) और चंडीगढ़ (22.5) का स्थान है। बड़े राज्यों में महाराष्ट्र 17.4 लेन-देन प्रति व्यक्ति के साथ अव्वल है।
रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य यूपीआई का इस्तेमाल करने में राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर हैं। झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल औसत से नीचे हैं। मूल्य के लिहाज से तेलंगाना सबसे आगे है। यहां प्रति व्यक्ति मासिक यूपीआई ट्रांजेक्शन की वैल्यू 34,800 रुपए है। इसके बाद गोवा (33,500 रुपए) और दिल्ली (31,300 रुपए) का स्थान आता है।
त्रिपुरा और बिहार में प्रति व्यक्ति मासिक लेन-देन चार से भी कम हैं। मूल्य के हिसाब से भी दोनों राज्य काफी पीछे हैं। त्रिपुरा में यह औसत 5,100 रुपए का है। बिहार में यह करीब 5,400 रुपए है। मतलब दिल्ली का एक निवासी बिहार या त्रिपुरा के निवासी से छह गुना अधिक यूपीआई लेन-देन करता है। जो पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में व्यक्ति-से-मर्चेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़ी कमी को दिखाता है।
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क्षेत्रीय पैटर्न स्पष्ट हैं। महाराष्ट्र से कर्नाटक होते हुए तेलंगाना तक का दक्षिण-पश्चिम कॉरिडोर उच्च आवृत्ति और मूल्य दिखाता है। जो परिपक्व डिजिटल इकोसिस्टम का संकेत है। उत्तर-पूर्व में मिश्रित तस्वीर है। त्रिपुरा और असम पीछे हैं। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम अपेक्षाकृत बेहतर हैं। शायद दुर्गम क्षेत्रों में नकदी के विकल्प के रूप में डिजिटल पर निर्भरता कारण हो।