भारतीय संसद के अंदर की तस्वीर
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र एक बार फिर गरमाने वाला है। सोमवार से शुरू हो रहे दूसरे चरण में विपक्ष सरकार को घेरने के लिए पूरी रणनीति बना चुका है। मणिपुर में हिंसा, मतदाता सूचियों में हेरफेर के आरोपों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकी जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में है। दूसरी ओर, सरकार का ध्यान बजट पारित कराने, वक्फ संशोधन विधेयक को आगे बढ़ाने और मणिपुर के बजट को मंजूरी दिलाने पर रहेगा। गहमागहमी के बीच संसद में सियासी टकराव तय माना जा रहा है।
विपक्ष ने चुनावी प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोलने की योजना बनाई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है और कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना-यूबीटी समेत अन्य विपक्षी दलों को एकजुट कर रही है। टीएमसी ने चुनाव आयोग से मुलाकात की योजना बनाई है और दावा किया है कि कुछ राज्यों में मतदाता सूची में छेड़छाड़ हुई है। हालांकि, चुनाव आयोग इस आरोप को खारिज कर चुका है और स्पष्ट किया है कि समान मतदाता पहचान पत्र संख्या होने के बावजूद मतदाता सूचनाएं अलग-अलग होती हैं।
मणिपुर की हिंसा और वहां लागू राष्ट्रपति शासन को लेकर भी संसद में तीखी बहस होने की संभावना है। गृह मंत्री अमित शाह संसद में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए प्रस्ताव रख सकते हैं, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मणिपुर का बजट पेश करेंगी। राज्य में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है, और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहेगा।
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सरकार संसद में वक्फ संशोधन विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराने की तैयारी में है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पहले ही इस विधेयक को जरूरी बता चुके हैं और दावा कर रहे हैं कि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दों का समाधान होगा। विपक्षी दलों ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि इंडिया ब्लॉक इसके खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाएगा। बजट सत्र के इस चरण में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार टकराव तय है। जहां सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं विपक्ष हर मुद्दे पर सरकार को घेरने के मूड में है। संसद में इस बार चर्चा कम और हंगामा ज्यादा होने के पूरे आसार हैं।