
तेजस्वी यादव, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025 Result: बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना के शुरुआती रुझान में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलता हुआ नजर आ रहा है। वहीं, महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। राजद-कांग्रेस मिलकर भी 50 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है। इस बीच सवाल उठ रहा है कि अगर इस चुनाव में भी राजद को हार का सामना करना पड़ता है, तो तेजस्वी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? सियासत उनकी रगों में दौड़ती है, क्योंकि उनके पिता और मां दोनों बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
तेजस्वी यादव आरजेडी के युवराज हैं और उन्हें 2025 के विधानसभा चुनाव में भावी सीएम माना जा रहा था, लेकिन बिहार के नतीजों ने उन्हें निस्तेज कर दिया है। बात हो रही है तेजस्वी यादव की, जिनके जीत के तमाम दावों को बिहार की जनता से सिरे से नकार दिया है। अब सवाल उठता है कि क्या यह चुनावी हार तेजस्वी यादव का राजनीतिक तेज खत्म कर देगी? इन नतीजों के बाद आरजेडी के युवराज का भविष्य कैसा होगा?
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के दोपहर 12 बजे तक के रुझानों की बात करें तो एनडीए ने 190 सीटों पर बढ़त बना रखी है। इसमें बीजेपी 91, जेडीयू 81, लोजपाआरवी 21, हम 5 और आरएलएम 4 सीटों पर आगे चल रही हैं. उधर, महागठबंधन ने सिर्फ 49 सीटों पर बढ़त बना रखी है. इनमें आरजेडी 34, कांग्रेस 6, वीआईपी 1 और लेफ्ट ने 7 सीटों पर बढ़त कायम की है. अहम बात यह है कि चुनाव का नतीजों का ऐलान होने से पहले ही कांग्रेस ने हार मान ली है.
तेजस्वी यादव की आरजेडी को महागठबंधन में 143 सीटें मिली थीं। इनमें 52 सीटों पर उन्होंने यादव कैंडिडेट्स उतारे। ऐसे में मैसेज यह गया कि तेजस्वी यादव का पूरा फोकस जातिवाद की राजनीति पर है, जिससे गैर-यादव वोट पूरी तरह छिटक गया। अगर तेजस्वी यादव अपनी यही छवि कायम रखते हैं तो उन्हें भविष्य में भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान विरोधी पार्टी उनको आरजेडी की यादव नीति कहकर बार-बार घेर सकती है।
तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान कई ऐसे वादे किए, जिनका खाका वह सही तरीके से खुद भी नहीं खींच पाए। इन वादों में हर घर को सरकारी नौकरी देने का वादा भी शामिल है, जिसमें वह यह नहीं बता पाए कि इसे कैसे पूरा किया जाएगा। जब भी उनसे इसका ब्लू प्रिंट मांगा गया, वह जवाब देने से बचते दिखे। ऐसे में जनता को उन पर ऐतबार नहीं हो पाया और उन्हें हार झेलनी पड़ रही है। अगर तेजस्वी यादव को वापसी करनी है तो उन्हें इस पर काफी काम करना होगा. जनता से ऐसे वादे करने होंगे, जिन पर आसानी से भरोसा हो सके।
परिवार में विवाद के बाद तेज प्रताप यादव ने अलग पार्टी बनाई और चुनाव मैदान में कूद पड़े। हालांकि, रुझानों में उनका हाल भी बेहद खराब है, लेकिन भविष्य में वह आरजेडी में वापसी कर सकते हैं और तेजस्वी यादव के सियासी भविष्य पर सवाल उठा सकते हैं।
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अब सवाल उठता है कि क्या इस हार के बाद तेजस्वी यादव वापसी कर पाएंगे? अगर देखा जाए तो राजनीति में कुछ भी परमानेंट नहीं होता है। यहां एक चुनाव के नतीजों का असर अक्सर दूसरे चुनाव पर नजर नहीं आता। अगर तेजस्वी यादव अपनी गलतियों पर ध्यान देंगे और इन्हें नहीं दोहराएंगे तो हालात बदल सकते हैं। आरजेडी एक बार फिर सत्ता का स्वाद चख सकती है।






