लालू प्रसाद, प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी (फोटो-डिजाइन)
पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग का लोहा यूं हीं नहीं लोग मानते हैं। उनकी सियासी चालों से न केवल समीकरण बदल जाते हैं, बल्कि चुनावी चाणाक्य भी चकरा जाते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में करीब 6 महीने बाकी हैं। इस बीच भाजपा के साथ मिलकर सीएम नीतीश आयोग-आयोग खेल रहे हैं। इस खेल से न केवल प्रशांत किशोर के माथे पर बल पड़ गए हैं, बल्कि राजद भी बैकफुट पर नजर आ रही है।
सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में उच्च जातियों के लिए आयोग का गठन किया है। नीतीश कुमार के आयोग के प्रयोग को लीक से हट कर बताया जा रहा है। इसको EWS आरक्षण की तरह देखा जा रहा है। विपक्ष इसका विरोध भी नहीं कर सकता है। मजबूरी में सीएम के फैसले का स्वागत करना पड़ेगा।
नीतीश कुमार के आयोग के प्रयोग का असर
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार ने आयोग का प्रयोग कर एक समीकरण बनाया है, जिससे भाजपा के साथ रहते हुए JDU का चुनावी फायदा तो फिक्स है, लेकिन अलग होने के बाद भी फायदा मिलता रहेगा। इस आयोग के गठन से प्रशांत किशोर की ओर सवर्ण वोटरों का बढ़ता रूझान भी कम हो जाएगा। इसके अलावा बिहार सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग का पुर्नगठन किया है। इस दांव से लालू प्रसाद यादव के MY समीकरण को झटका लगेगा। ऐसा मानना है कि नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक आयोग का पुर्नगठन कर वक्फ की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है।
‘वक्फ के विलेन बचा रहे मुस्लिम वोट बैंक’
बिहार के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्षी दलों ने वक्फ बिल पास होने के बाद नीतीश कुमार और नायडू का जमकर प्रचार किया, जिससे मुस्लिम समुदाय वक्फ का विलेन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को मानने लगा है। जबकि इन दोनों नेताओं की सेकुलर छवि है। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार मुस्लिमों का एक मुश्त वोट महागठबंधन की ओर जाता दिख रहा है। अभी भी वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। इसीलिए नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक आयोग के पुर्नगठन की जहमत उठाई है। जेडीयू चाहती है कि कम से कम पार्टी का पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक बच जाए।
उच्च आयोग के अध्यक्ष महाचंद्र प्रसाद सिंह को बनाया
बिहार में उच्च जातियों के विकास के लिए गठित आयोग का अध्यक्ष महाचंद्र प्रसाद सिंह को बनाया गया है। महाचंद्र प्रसाद सिंह मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। उनकी नियुक्ति के संबंध में बिहार सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन को इस आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा।
अनुसूचित जनजाति व अल्पसंख्यक आयोग में बदलाव
इसके अलावा बिहार सरकार ने राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी बड़े बदलाव किए गए हैं। शैलेंद्र कुमार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ सुरेंद्र उरांव को उपाध्यक्ष और प्रेमशिला गुप्ता, तल्लू बासकी तथा राजू कुमार को सदस्य नियुक्त किया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने बीते दिन ही अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया था और गुलाम रसूल बलियावी को इसका अध्यक्ष बनाया था।