जहानाबाद विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Jehanabad Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच जहानाबाद (Jehanabad) सीट की चर्चा जोरों पर है। अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मजबूत गढ़ के रूप में पहचानी जाती है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एनडीए (NDA) गठबंधन राजद के इस अभेद्य किले को भेद पाएगा।
नामकरण: इस शहर का उल्लेख 16वीं शताब्दी की मुगलकालीन पुस्तक ‘आईन-ए-अकबरी’ में मिलता है। 17वीं शताब्दी में भीषण अकाल के दौरान, औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर यहाँ एक राहत बाजार बनवाया था, जिसका नाम बाद में ‘जहानाबाद’ पड़ा।
कांग्रेस का पतन: 1951 में अस्तित्व में आई यह सीट पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोषित दल की जीत ने कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म कर दिया। इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई थी।
राजद का उदय: 2000 के दशक में राजद ने यहाँ अपनी मजबूत पकड़ बनाई और तब से अब तक यह पार्टी छह बार यह सीट जीत चुकी है।
वर्तमान समीकरण: सुदय यादव बनाम एनडीए
वर्तमान में यह सीट राजद के सुदय यादव के पास है, जिन्होंने 2020 में जीत हासिल की थी।
2025 के विधानसभा चुनावों में, महागठबंधन की ओर से वर्तमान विधायक सुदय यादव का मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। वहीं, एनडीए खेमे में भाजपा के एमएलसी अमिल शर्मा, पूर्व विधायक मनोज शर्मा और पूर्व एमएलसी राधामोहन शर्मा जैसे नाम चर्चा में हैं।
जहानाबाद में राजद का जनाधार अब भी मजबूत बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण यहाँ का पारंपरिक जातीय समीकरण है:
यादव और मुसलमान मतदाताओं का प्रभाव पारंपरिक रूप से इस सीट पर बना हुआ है, जो राजद के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को बल देता है।
जहानाबाद का इतिहास है कि यहाँ भाजपा कभी बड़ी ताकत नहीं रही है, और पार्टी को हमेशा यादव-मुस्लिम ध्रुवीकरण को तोड़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा है।
इन मजबूत जातीय समीकरणों को देखते हुए, 2025 में एनडीए के लिए यह सीट जीतना एक कठिन चुनौती होगी, खासकर तब जब राजद के उम्मीदवार मजबूत हैं।
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क्या आप जानना चाहेंगे कि जहानाबाद विधानसभा सीट पर 2010 में राजद की संभावित सातवीं जीत को किस तरह से कांग्रेस के उम्मीदवार ने वोटों के बंटवारे से प्रभावित किया था?