बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Dumraon Assembly Constituency: बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक डुमरांव विधानसभा क्षेत्र, बक्सर लोकसभा के अंतर्गत आता है और अपने जटिल चुनावी इतिहास के लिए जाना जाता है। यह सीट इस मायने में विशिष्ट है कि यहां के मतदाताओं ने कभी भी किसी राष्ट्रीय पार्टी को लंबे समय तक वर्चस्व स्थापित नहीं करने दिया है। यह क्षेत्र एक ओर जहां ऐतिहासिक और धार्मिक समृद्धि रखता है, वहीं राजनीतिक रूप से वामपंथियों के उभार का गवाह भी रहा है।
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और इसने अब तक 17 विधानसभा चुनाव देखे हैं। शुरुआती दशकों में कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज कर अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी। फिर गैर-कांग्रेसी जीतने लगे। बाद में जनता दल, जदयू और निर्दलीय प्रत्याशियों ने दो-दो बार सफलता हासिल की। इस सीट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां भारतीय जनता पार्टी को कभी जीत नहीं मिली है। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले (CPI-ML) के अजीत कुशवाहा ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था।
2020 का परिणाम देखा जाए तो अजीत कुमार सिंह ने जदयू की प्रत्याशी अंजुम आरा को पराजित कर यह सीट जीती थी, जिससे इस क्षेत्र में वामपंथी दलों की पकड़ एक बार फिर मजबूत हुई। अबकी बार का मुकाबला माले बनाम JDU बनाम जन सुराज हो सकता है। 2025 के चुनाव में डुमरांव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। फिलहाल कुल 16 उम्मीदवार इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
भाकपा-माले (CPI-ML): मौजूदा विधायक अजीत कुशवाहा फिर से मैदान में हैं। उनकी चुनौती अपनी पहली जीत को दोहराना और भाकपा-माले के जनाधार को बरकरार रखना है।
जनता दल यूनाइटेड (JDU): जदयू ने राहुल कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो 2020 की हार का बदला लेने और सीट पर पार्टी का वर्चस्व बहाल करने की कोशिश करेंगे।
जन सुराज (JS): प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से शिवांग विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं। जन सुराज की उपस्थिति, खासकर युवाओं और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित अभियान के कारण, भाकपा-माले और जदयू दोनों के वोटों को विभाजित कर सकती है, जिससे परिणाम अप्रत्याशित हो सकता है।भौगोलिक
डुमरांव नगर की स्थापना 1709 ईस्वी में राजा होरिल सिंह ने की थी। यह बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और गंगा नदी के समीप होने के कारण यहां की मिट्टी अत्यंत उपजाऊ है। प्रमुख स्थलों में तिरहुत बांध सिंचाई और पर्यटन का केंद्र है। राजगढ़ स्थित बांके बिहारी मंदिर और डुमरेजनी माई का मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। लालाटोली का राज राजेश्वरी मंदिर एक प्रसिद्ध तांत्रिक स्थल है, जो नवरात्र के दौरान तंत्र साधकों का केंद्र बन जाता है।
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डुमरांव के मतदाता इस बार विकास, स्थानीयता और राजनीतिक विचारधारा के आधार पर वामपंथ के उदय को बरकरार रखते हैं या जदयू को वापस मौका देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।