नबीनगर विधानसभा सीट, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Nabinagar Assembly Seat: औरंगाबाद जिले का नबीनगर सिर्फ बिहार का एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जो अपने दामन में इतिहास की विरासत और भविष्य की ऊर्जा दोनों को समेटे हुए है। कभी बिहार के पहले उप-मुख्यमंत्री की सीट रही यह जगह आज दो विशाल बिजली परियोजनाओं के दम पर पूरे राज्य की किस्मत बदलने का दम रखती है।
नबीनगर की राजनीति इतनी सीधी नहीं है। यहां के मतदाता हर चुनाव में चौंकाने वाले नतीजे देते हैं, और आगामी Bihar Assembly Election 2025 में एक बार फिर राजद (RJD) और जदयू (JDU) के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
नबीनगर का एक गौरवशाली इतिहास भी है। यह 1951 से विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद बिहार के पहले उप-मुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा की विधानसभा सीट भी यही थी। शुरुआती दशकों में कांग्रेस का यहां वर्चस्व था, जिसने आठ बार जीत हासिल की।
सिन्हा परिवार ने नवीनगर की राजनीति को दशकों तक दिशा दी। अनुग्रह बाबू के पुत्र सत्येन्द्र नारायण सिन्हा भी मुख्यमंत्री रहे थे। आज भले ही राजनीति राजद और जदयू के बीच सिमट गई हो, लेकिन इतिहास का यह प्रभाव क्षेत्र में हमेशा महसूस किया जाता है।
नबीनगर विधानसभा सीट काराकाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और इसकी चुनावी यात्रा किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रही है। यहां मतदाता स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार के काम के आधार पर निर्णय लेते हैं, जिससे यह किसी एक दल की स्थायी सीट नहीं बन पाई है। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में यह सीट राजद का गढ़ मानी जाती थी और विजय कुमार सिंह ने जीत दर्ज की।
बदलाव की शुरुआत (2005): फरवरी 2005 में विजय कुमार सिंह ने फिर जीत दर्ज की, लेकिन उसी साल अक्टूबर में हुए दोबारा चुनाव में समीकरण बदल गया। इस बार लोक जनशक्ति पार्टी के विजय राम विजेता बने और सीट राजद के हाथ से निकल गई।
जदयू का प्रभुत्व (2010-2015): साल 2010 और 2015 के चुनावों में जदयू ने अपनी पकड़ मजबूत की। वीरेंद्र कुमार सिंह (जदयू) ने इन दोनों चुनावों में अपनी जीत दोहराई।
राजद की वापसी (2020): 2020 के नतीजे ने यह स्पष्ट कर दिया कि समीकरण फिर बदल गया है। राजद के उम्मीदवार विजय कुमार सिंह ने जबरदस्त वापसी की और जदयू के वीरेंद्र कुमार सिंह को बड़े अंतर से हराया।
नबीनगर को सिर्फ राजनीतिक अतीत के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि यह ‘न्यू बिहार’ की कहानी भी लिख रहा है। यह नगर आज एक बड़ी ऊर्जा क्रांति की दहलीज पर खड़ा है, जहाँ दो विशाल विद्युत परियोजनाएं आकार ले रही हैं:
नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट: यह एक विशाल कोयला आधारित थर्मल पावर परियोजना है। इसमें 660 मेगावाट की तीन इकाइयां तैयार हो रही हैं, जो कुल 1,980 मेगावाट बिजली पैदा करेंगी। एनटीपीसी और बिहार सरकार की बिजली होल्डिंग कंपनी की यह पहल भारत का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर बनने का दम रखती है।
भारतीय रेल बिजली कंपनी लिमिटेड परियोजना: एनटीपीसी की सहायक कंपनी द्वारा विकसित यह 1,000 मेगावाट की थर्मल परियोजना है। इसकी खास बात यह है कि यहाँ उत्पन्न होने वाली 90 प्रतिशत बिजली भारतीय रेल को मिलेगी, जबकि 10 प्रतिशत बिहार को प्राप्त होगी। ये परियोजनाएं न केवल रोजगार और विकास के द्वार खोलेंगी, बल्कि आगामी Bihar Assembly Election 2025 में भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा होंगी।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव 2025:गोह सीट पर बदलता जनादेश, वामदल से भाजपा तक सियासी सफर, भीम सिंह बनाम मनोज शर्मा
नबीनगर विधानसभा सीट में Bihar Politics का माहौल फिलहाल विकास, रोजगार और स्थानीय बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर केंद्रित है। राजद अपने गढ़ को बचाने में जुटी है, जबकि जदयू इसे वापस हासिल करने के लिए जोर लगा रही है। विजय कुमार सिंह के सामने सीट बचाने की चुनौती है, वहीं जदयू अपनी खोई हुई पकड़ को वापस पाना चाहती है। ऊर्जा परियोजनाओं का विकास इस चुनावी टक्कर के समीकरणों को जरूर प्रभावित करेगा।