Nitin Gadkari ने एक अहम फैसला लिया है। (सौ. X)
नवभारत ऑटोमोबाइल डेस्क: केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrapping Policy) को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति से ऑटो पार्ट्स (Auto Components) की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की कमी आने की उम्मीद है। इससे वाहनों की कीमतों में भी गिरावट आ सकती है, जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।
मंत्री गडकरी ने कहा कि कबाड़ नीति से ऑटो सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पुराने और अनुपयोगी वाहनों को हटाने से बाजार में नए वाहनों की मांग बढ़ेगी और इससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार शहरों और राजमार्गों पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग में भी तेजी आएगी।
गडकरी ने यह भी बताया कि कच्चे माल की कीमतों में गिरावट आने से इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता में इजाफा होगा। उन्होंने कहा, “हम कबाड़ नीति लेकर आए हैं, जिससे वाहन कलपुर्जों की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे वाहन सस्ते होंगे और उपभोक्ताओं को इसका सीधा फायदा मिलेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में लिथियम-आयन बैटरी की कीमतें पहले से काफी कम हो चुकी हैं। अडानी ग्रुप, टाटा और अन्य बड़ी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर लिथियम-आयन बैटरियों का उत्पादन करने जा रही हैं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत और कम हो सकती है।
मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर में खोजा गया लिथियम भंडार दुनिया के कुल लिथियम भंडार का 6 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह करोड़ों लिथियम-आयन बैटरियों के निर्माण के लिए पर्याप्त होगा, जिससे भारत को लिथियम आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे घरेलू ईवी उत्पादन को मजबूती मिलेगी और देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा।
वाहन कबाड़ नीति भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना है। इस नीति के तहत –
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वाहन कबाड़ नीति के लागू होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर को मजबूती मिलेगी, वाहनों की कीमतों में गिरावट आएगी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के लिथियम भंडार का उपयोग करके लिथियम-आयन बैटरी का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा। सरकार की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक मजबूती – दोनों को बढ़ावा मिलेगा।