Tatanagar के नाम से बनी कार जिसने इतिहास बनाया था। (सौ. Autocar)
नवभारत टेक डेस्क: Tata Group, जो आज भारत की प्रमुख कंपनियों में से एक है, ने न केवल स्वदेशी कारों जैसे Tata Sierra, Tata Indica और Nexon जैसी 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग वाली कारों का निर्माण किया है, बल्कि उसने एक समय ऐसी कार भी बनाई थी, जिसने ब्रिटिश सेना को द्वितीय विश्व युद्ध में निर्णायक जीत दिलाने में मदद की। यह कार अपनी विशेषताओं के कारण Tata के नाम पर ही ‘Tatanagar’ के नाम से मशहूर हुई।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान, जब जर्मनी के शासक एडोल्फ हिटलर की ‘कारपेट बॉम्बिंग’ से यूरोप में आतंक फैल गया था, ब्रिटिश सेना को हथियारों और युद्ध सामग्री की भारी कमी का सामना करना पड़ा। ऐसे में ब्रिटिश सरकार ने Tata Group से मदद की अपील की।
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वह समय था जब Tata Group, जिसे तब TISCO (Tata Iron and Steel Company) के नाम से जाना जाता था, दुनिया की प्रमुख स्टील कंपनियों में से एक था। 1939 में जब युद्ध शुरू हुआ, तो स्टील की भारी कमी हो गई। ब्रिटिश सेना को बख्तरबंद वाहनों, टैंकों और हथियारों के लिए स्टील की सख्त जरूरत थी। Tata स्टील ने 110 अलग-अलग प्रकार के स्पेशल स्टील तैयार किए, जो युद्ध में उपयोगी थे। इसके अलावा, Tata Group ने अपने कारखानों को 24 घंटे चालू रखकर ब्रिटिश सेना की मदद की।
इस संकट के दौरान, Tata Group को ब्रिटिश सरकार ने एक विशेष बख्तरबंद वाहन बनाने का आदेश दिया। टाटा ने रेलवे डिपार्टमेंट के साथ मिलकर एक ‘लड़ाकू कार’ तैयार की। इस कार में Ford V8 इंजन लगाया गया था, जिसे रेलवे से प्राप्त किया गया था। इसके अलावा, टाटा स्टील में बने मजबूत आर्मर प्लेट्स से इसे कवर किया गया। इस वाहन को ‘इंडियन पैटर्न कैरियर’ नाम दिया गया, लेकिन यह ‘Tatanagar’ के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हुई, क्योंकि यह जमशेदपुर में निर्मित हुई थी, जिसे ‘टाटानगर’ के नाम से भी जाना जाता है।
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Tatanagar अपनी बेमिसाल ताकत और मजबूत निर्माण के लिए प्रसिद्ध हुई। इसमें लगा Ford V8 इंजन युद्ध के लिए आदर्श था और इसका स्टील बहुत मजबूत था, जिससे यह युद्ध के दौरान बेहद प्रभावी साबित हुआ। इस कार ने ब्रिटिश और मित्र देशों की सेना को उत्तरी अफ्रीका में धुरी राष्ट्रों के खिलाफ निर्णायक विजय दिलाने में अहम भूमिका निभाई।