
तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री और मालदीव के राष्ट्रपति
नवभारत डेस्क: साल 2024 भारत की विदेश नीति के लिए काफी मुस्किलों भरा रहा। कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भू-राजनीतिक तनाव और उथल-पुथल से भरे साल में भारत और चीन ने साढ़े चार साल से अधिक समय से चले आ रहे सीमा गतिरोध को खत्म किया। अविश्वास को कम करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की। वहीं बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर नई दिल्ली आने से भारत को नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
साल के अंत में भारत का ध्यान अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के संबंध में अपनी नीति तैयार करने पर रहा। भारत को डर है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में व्यापार और टैरिफ से संबंधित ट्रंप के नीतिगत दृष्टिकोण से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच संबंध आम तौर पर विशेष रूप से रक्षा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्रों में प्रगाढ़ रहे।
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हालांकि, कथित भाड़े पर हत्या मामले के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ तनाव आया। पिछले वर्ष न्यूयॉर्क में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में कथित रूप से शामिल भारतीयों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है। पिछले साल नवंबर में अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ साजिश के तहत काम करने का आरोप लगाया था।
भारत और चीन के बीच सैन्य झड़प
कनाडा द्वारा उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत कई भारतीय राजनयिकों को खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़ने के बाद साल की दूसरी छमाही में भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तेजी से गिरावट आई। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच सैन्य झड़प का अंत विदेश नीति के मामले में एक महत्वपूर्ण बिंदू रहा।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और कई चीनी सैनिक मारे गए थे। जिससे दोनों परमाणु-संपन्न पड़ोसी देशों के बीच संबंध छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद दोनों पक्षों ने डेमचोक और देपसांग के दो शेष विवादित बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर नहीं पड़ा सकारात्मक असर
भारत-पाकिस्तान संबंधों में कुछ सकारात्मक दृष्टिकोण के संकेत मिले जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अक्टूबर में इस्लामाबाद की यात्रा की। लगभग एक दशक में यह पाकिस्तान की पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी। जो दोनों देशों के बीच खराब संबंधों के बीच हुई।
बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इसाक डार के साथ जयशंकर की सुखद मुलाकात और संक्षिप्त बातचीत से दोनों पड़ोसियों के बीच बेहतर संबंधों की उम्मीद जगी। बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हो गए जब प्रधानमंत्री हसीना बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गईं। इसी के साथ उनका लगभग 16 साल का शासन समाप्त हो गया।
हसीना के प्रत्यर्पण की मांग
हसीना पांच अगस्त से भारत में रह रही हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं पर हमलों को रोकने में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के विफल रहने के बाद संबंधों में नाटकीय रूप से गिरावट आई। इस महीने, यूनुस सरकार ने नई दिल्ली को एक राजनयिक पत्र भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की। यह एक ऐसा कदम है जो संबंधों में और तनाव पैदा कर सकता है।






