पूर्व पीएम शेख हसीना ने क्रिसमस संदेश में यूनुस सरकार को घेरा (सोर्स-सोशल मीडिया)
Dipu Chandra Das Lynching: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने क्रिसमस के अवसर पर दिए अपने संदेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने वर्तमान शासन को ‘अवैध’ बताते हुए आरोप लगाया कि देश में गैर-मुसलमानों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार चरम पर हैं।
हसीना ने पिछले दिनों हुई हिंसा की घटनाओं को सरकार की विफलता बताया और कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किया जा रहा है। उनके इस बयान ने बांग्लादेश के भीतर और बाहर एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।
शेख हसीना ने अपने संबोधन में विशेष रूप से दीपू चंद्र दास की दर्दनाक हत्या का उल्लेख किया। दीपू दास को एक भीड़ ने ईशनिंदा के झूठे आरोपों में पीट-पीटकर मार डाला और बाद में उसके शव को आग के हवाले कर दिया था। शेख हसीना ने इसे “भयावह और अकल्पनीय” घटना करार देते हुए कहा कि यूनुस सरकार के तहत कट्टरपंथी ताकतों को खुली छूट मिली हुई है।
पुलिस जांच में हालांकि ईशनिंदा के कोई सबूत नहीं मिले, लेकिन इस घटना ने हिंदू समुदाय के भीतर गहरे डर और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है।
हसीना ने ईसाइयों और अन्य समुदायों को क्रिसमस की बधाई देते हुए इसे “अंधेरे से उजाले” की ओर जाने का पर्व बताया। उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार ने लोगों के अपने धर्म का पालन करने के अधिकार को छीन लिया है और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि बांग्लादेश की जनता इस “काले दौर” को अधिक समय तक सहन नहीं करेगी और जल्द ही उम्मीद की एक नई सुबह होगी। उनके अनुसार, देश में सद्भाव और सामंजस्य की भावना को जानबूझकर नष्ट किया जा रहा है।
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हसीना का यह हमला ऐसे समय आया है जब उनके प्रतिद्वंद्वी और बीएनपी नेता तारिक रहमान ने भी शांति की अपील की है। रहमान ने ढाका की रैली में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात कही, हालांकि उन्होंने हसीना का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया।
दूसरी ओर, यूनुस सरकार ने दीपू दास के परिवार की जिम्मेदारी लेने और दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। लेकिन शेख हसीना के ताजा आरोपों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की छवि और अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।