मार्क कार्नी व डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स- सोशल मीडिया)
ओटावा: कनाडा के नवनियुक्त प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पदभार संभालते ही सबसे पहले डोनाल्ड ट्रंप पर हमला बोला। अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम लिए बिना उन्होंने साफ कहा है कि कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा बनना स्वीकार नहीं करेगा। आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं, तब से कनाडा पर हमला बोल रहे हैं।
पहले उन्होंने टैरिफ की धमकी दी और अब उनका कहना है कि अमेरिका और कनाडा के बीच सीमा को फिर से बनाया जाना चाहिए। जस्टिन ट्रूडो की अपनी पार्टी के उन पर अविश्वास जताने के बाद अब अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ और ट्रूडो सरकार में मंत्री रहे मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है।
कार्नी ने कहा कि लिबरल पार्टी एकजुट है और पहले की तरह कनाडा के हित में काम करने के लिए तैयार है। हमने इस देश को दुनिया का सबसे महान देश बनाया है और अब पड़ोसी इस पर कब्जा करना चाहता है। ऐसा कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, अमेरिका हमारे संसाधनों का दोहन करना चाहता है। उसे हमारा पानी, जमीन और देश चाहिए। अगर वे सफल हो गए तो हम खत्म हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अमेरिका एक ऐसी स्थिति में आ गया है जहां वह एक संस्कृति को नष्ट कर देगा। वहीं दूसरी ओर कनाडा विविधता का सम्मान करता है। कनाडा किसी भी रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं हो सकता।
कार्नी बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व प्रमुख हैं और बैंक ऑफ इंग्लैंड में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। माना जा रहा है कि अपने महत्वपूर्ण पदों के कारण वे देश को आर्थिक चुनौतियों से बाहर निकाल पाएंगे। कार्नी ने कहा, “कोई है जो हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।” उनका सीधा इशारा डोनाल्ड ट्रंप की ओर था।
उन्होंने कहा, “जैसा कि हम जानते हैं, डोनाल्ड ट्रंप ने हमारे द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों, हमारे द्वारा बेचे जाने वाले सामान और हमारी आजीविका के साधनों पर अनुचित टैरिफ लगाए हैं। वह कनाडाई परिवारों, श्रमिकों और व्यवसायों पर हमला कर रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते।” कार्नी ने कहा कि कनाडा तब तक प्रतिशोधात्मक टैरिफ लागू रखेगा, जब तक “अमेरिकी इसे जारी रखते हैं।”
विदेश की अन्य सभी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
उन्होंने कहा, “हमने यह लड़ाई शुरू नहीं की, लेकिन जब कोई हमें परेशान करता है, तो कनाडाई उन्हें अकेला नहीं छोड़ते।” ट्रंप द्वारा कनाडा पर टैरिफ लगाए जाने और कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की बात से भी देश में ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। कुछ लोग अमेरिका की अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं, जबकि अन्य अमेरिकी सामान खरीदने से बच रहे हैं।