डोनाल्ड ट्रंप व अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर (सोर्स - सोशल मीडिया)
वाशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त व्यापार नीतियों का असर अब वैश्विक मंच पर दिखाई देने लगा है। अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने सीनेट की वित्त समिति को बताया कि भारत सहित करीब 50 देशों ने टैरिफ और व्यापार बाधाओं में राहत के लिए अमेरिका से संपर्क किया है। ग्रीर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा घोषित ‘व्यापार में राष्ट्रीय आपातकाल’ का सकारात्मक असर दिखने लगा है और देश का व्यापार घाटा कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे अमेरिका के लिए एक निर्णायक मोड़ बताया।
ग्रीर ने कहा कि अमेरिका का कृषि टैरिफ औसतन 5 प्रतिशत है जबकि भारत का औसत टैरिफ 39 प्रतिशत है। यही असमानता दशकों से व्यापार घाटे और विनिर्माण क्षेत्र की गिरावट का कारण रही है। उन्होंने दावा किया कि अर्जेंटीना, वियतनाम, इजरायल और भारत जैसे देश अब अपने टैरिफ घटाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
ग्रीर ने कहा कि अमेरिका 1994 से अब तक 5 मिलियन नौकरियां और 90,000 फैक्ट्रियां खो चुका है। यहां तक कि कृषि क्षेत्र, जिसमें अमेरिका पहले लाभ में था, वह भी घाटे में चला गया है। उन्होंने इसे असमान वैश्विक व्यापार नीतियों का परिणाम बताया। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा स्टील, एल्युमिनियम, ऑटो और उनके पार्ट्स पर सख्त टैरिफ लगाना इसी असंतुलन को संतुलित करने का प्रयास है।
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने सीनेट की वित्त समिति के सामने टैरिफ नीति का बचाव करते हुए कहा कि व्यापार घाटा देश की बड़ी समस्या है। उन्होंने बताया कि 1994 से अब तक अमेरिका ने 5 मिलियन नौकरियां और 90,000 फैक्ट्रियां खो दी हैं और 2024 में व्यापार घाटा 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। सीनेटर विडेन के सवाल पर ग्रीर ने बताया कि इसी के जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में व्यापार में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की है ताकि घाटा कम किया जा सके और घरेलू उद्योग को फिर से मजबूत किया जा सके।
ग्रीर ने माना कि शेयर बाजारों में इस नीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। मंगलवार को एसएंडपी 500 और नैस्डैक में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जबकि डाउ जोंस ने दिन की सारी बढ़त खो दी।
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इसके बावजूद सरकार का मानना है कि यह नीति सिर्फ दबाव की रणनीति नहीं, बल्कि स्थायी सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है। ग्रीर ने कहा कि अमेरिका बातचीत को तैयार है, लेकिन उद्देश्य स्पष्ट है—विनिमय में समानता और घरेलू विनिर्माण को पुनर्जीवित करना।