भरभराकर गिरीं इमारतें, हर ओर तबाही का मंजर...पड़ोसी देश में आए भयंकर भूकंप से भारत भी हिला, VIDEO में देखें दहशत भरे पल
नवभारत डेस्क: शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे म्यांमार में जोरदार भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 7.7 मापी गई। धरती के लगातार हिलने से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है। इस भूकंप का असर पड़ोसी देशों बांग्लादेश, चीन, लाओस और थाईलैंड में भी देखा गया। इसके झटके दिल्ली-एनसीआर तक महसूस किए गए। अमेरिकी वैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, इस भूकंप की प्रारंभिक तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई थी। वहीं, भारत के नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने संशोधित आंकड़ों के आधार पर इसकी तीव्रता 7 दर्ज की। यह शक्तिशाली भूकंप भारत के पड़ोसी देश के सागाइंग क्षेत्र में आया।
यूएसजीएस के अनुसार, भूकंप स्थानीय समयानुसार दोपहर 12:50 बजे (0620 GMT) के करीब आया, जिसका केंद्र सागाइंग शहर से 16 किलोमीटर (10 मील) उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। इस भूकंप के झटके म्यांमार के अलावा बैंकॉक में भी महसूस किए गए, जिससे दफ्तरों और दुकानों को खाली कराना पड़ा। इस दौरान कई इमारतें ढह गईं और हर तरफ तबाही का मंजर देखने को मिला।
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— โอยีฟ ซาคากุจิ⚡️ (@oyivelloud) March 28, 2025
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— Jeevan Journalist (@jeevan13470725) March 28, 2025
दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रुक-रुक कर झटके महसूस किए जा रहे हैं। इसका केंद्र म्यांमार बताया जा रहा है। वहां भूकंप की तीव्रता 7.2 रही। पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के बाद लोगों में दहशत का माहौल देखा गया।
ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा तनाव में दिखे। वे तेजी से खुली जगहों की ओर भागते नजर आए। शुक्र है कि भारत में इसका असर म्यांमार और बांग्लादेश जितना तेज नहीं रहा। इस भूकंप का असर भारत के उत्तर-पूर्व में भी काफी तेज रहा। मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, असम और सिक्किम में लोगों ने भूकंप के काफी तेज झटके महसूस किए।
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भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।