बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार (सोर्स-सोशल मीडिया)
False Blasphemy Charges Against Hindus: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और अत्याचार की घटनाओं ने एक भयावह रूप ले लिया है। हालिया रिपोर्टों और ‘ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज’ (HRCBM) के खुलासे के अनुसार, कट्टरपंथी तत्व ‘ईशनिंदा’ को हथियार बनाकर मासूम हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।
कई मामलों में बिना किसी पुख्ता सबूत के केवल अफवाहों या फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर भीड़ को उकसाया जाता है। इसके बाद न केवल हिंदुओं की जान ली जा रही है, बल्कि उनके पूरे के पूरे गांवों को जलाकर राख कर दिया जा रहा है।
HRCBM की रिपोर्ट में आठ ऐसे प्रमुख मामलों का जिक्र किया गया है जहां हिंदुओं पर लगाए गए आरोप बाद में पूरी तरह झूठे निकले। सुनामगंज के शाल्ला में एक हैक किए गए फेसबुक पोस्ट के बाद 400 से अधिक हिंदू परिवारों पर क्रूर हमला किया गया।
उनके घरों में लूटपाट हुई और आग लगा दी गई। इसी तरह, रंगपुर के गंगाचरा में एक 17 वर्षीय किशोर पर झूठा आरोप लगाकर 22 घरों को तबाह कर दिया गया। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे एक छोटी सी अफवाह कट्टरपंथियों के लिए हिंसा का लाइसेंस बन जाती है।
रिपोर्ट में प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। खुलना के डाकोप में एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा हिंदू देवी काली का अपमान करने के बावजूद, पुलिस ने उल्टा हिंदू पक्ष के व्यक्ति को ही गिरफ्तार कर लिया।
मौलवीबाजार, फरीदपुर और कुमिल्ला जैसे जिलों में भी एक ही पैटर्न देखा गया, पहले अफवाह फैलती है, फिर भीड़ जमा होती है और पुलिस बिना जांच के अल्पसंख्यक व्यक्ति को हिरासत में ले लेती है। इसके तुरंत बाद भीड़ अल्पसंख्यक बस्तियों पर हमला कर देती है, जिससे पीड़ित परिवारों को जान बचाकर भागना पड़ता है।
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इन हिंसक हमलों के कारण हजारों हिंदू परिवार अपने ही देश में विस्थापित होने को मजबूर हैं। घरों के जलने और लूटपाट के बाद इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं।
कट्टरपंथियों का मुख्य उद्देश्य डर का माहौल पैदा करना और अल्पसंख्यकों को उनकी संपत्ति छोड़ने पर मजबूर करना है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा अब एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गई है, जहां धार्मिक उन्माद के आगे कानून-व्यवस्था बेबस नजर आ रही है।