ममता बनर्जी, (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल)
कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने रविवार को एक बड़ा बयान दिया है, जो कि अब चर्चाओं में बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि आरजी कर अस्पताल पीड़िता के माता-पिता, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बदनाम कर राजनीति कर रहे हैं। एक दिन पहले, तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया था कि आरजी कर अस्पताल पीड़िता के माता-पिता का इस्तेमाल उन ताकतों द्वारा किया जा रहा है जो ममता बनर्जी सरकार को बदनाम करना और उसके खिलाफ साजिश करना चाहते हैं। तृणमूल कांग्रेस के अपने सहयोगी घोष के साथ हकीम ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जनादेश से चुनी गई हैं, न कि उन लोगों द्वारा, जो (पीड़िता के) शोकाकुल माता-पिता का कठपुतली के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
शहर में गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए नगर निकाय मामले एवं नगर विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि मैं (पीड़िता के) माता-पिता की अत्यधिक पीड़ा और वेदना को साझा करता हूं। मैं सीबीआई द्वारा मामले की जांच के तरीके पर उनकी आपत्तियों को साझा करता हूं।
राज्य सरकार में मंत्री ने कहा कि लेकिन जब वे (आर जी कर अस्पताल पीड़िता के माता-पिता) मुख्यमंत्री को निशाना बनाते हैं और बिना किसी कारण उन्हें बदनाम करते हैं, तो मुझे कहना पड़ रहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री के शासन पर नहीं बोलना चाहिए, जो जनादेश प्राप्त कर सत्ता में आईं, न कि उन ताकतों की इच्छा से जो अपने एजेंडे के लिए (पीड़िता के) माता-पिता को कठपुतली के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। पीड़िता के माता-पिता ने शुक्रवार को दावा किया था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनकी बेटी के साथ बलात्कार और हत्या के सबूतों को नष्ट करने के पुलिस और अस्पताल अधिकारियों के कथित प्रयास को लेकर जिम्मेदारी से इनकार नहीं कर सकतीं।
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पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपराध के मुख्य षड्यंत्रकारियों’ को बचाने का प्रयास किया, जबकि सीबीआई सभी अपराधियों को पकड़ने में विफल रही और बड़ी साजिश के पहलू को नजरअंदाज कर दिया। पिछले साल 9 अगस्त को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव अस्पताल परिसर के सेमिनार हॉल में मिला था। निचली अदालत ने 20 जनवरी को बलात्कार-हत्या मामले में एकमात्र दोषी संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।