By - Deepika Pal
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स्वतंत्र भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को तय हुआ था जिस पर संवैधानिक समिति ने हस्ताक्षर किए थे।
पहले संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर को माना गया है जिन्होंने चेतावनी और सुझाव दिए थे।
इंसान को असहयोग और सत्याग्रह के तरीकों को छोड़ देना चाहिए।
किसी भी धर्म में भक्ति करने से इंसान की आत्मा का उद्धार हो सकता है राजनीति में तानाशाही का।
सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र को पाकर समाज फैली असमानता खत्म नहीं हो जाती।
भारतीय संविधान देश के हर नागरिक को एकल नागरिकता देता है भेदभाव नहीं किया जा सकता।
देश में संप्रभुता,एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए आपातकाल लागू करना भी जरूरी है।
भारत में प्रधानमंत्री ही सरकार का मुखिया होता है।
इसका स्वरूप कठोर यानी इसमें संशोधन आसानी से नहीं किया जा सकता और लचीले का अर्थ है कि आसानी से बदला जा सके।
देश में रहने वाले सभी नागरिकों को समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा।