बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है और इस बार इसके केंद्र में हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास, जेडीयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ।वह खुद को बीते कुछ वर्षों से नीतीश कुमार का “मानस पुत्र” कहते रहे हैं- यानी वो नेता जिन पर नीतीश कुमार आंख बंद कर भरोसा करते हैं। लेकिन, इस भरोसे की नींव पर अब सवाल उठने लगे हैं और सवाल कोई और नहीं उठा रहे, बल्कि बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने निकले प्रशांत किशोर हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अशोक चौधरी ने यह टिकट लोजपा (आर) से लिया था। यानी चिराग पासवान की पार्टी से ना कि जेडीयू से। प्रशांत किशोर का दावा है कि अशोक चौधरी ने चिराग को रिश्वत दी ताकि उनकी बेटी को टिकट मिल सके। उनके शब्दों में बिहार की जनता को नहीं पता कि यह टिकट कैसे बटते हैं। किसने पैसे दिए, किसने लिए, सब समझौते के पीछे है।
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है और इस बार इसके केंद्र में हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास, जेडीयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ।वह खुद को बीते कुछ वर्षों से नीतीश कुमार का “मानस पुत्र” कहते रहे हैं- यानी वो नेता जिन पर नीतीश कुमार आंख बंद कर भरोसा करते हैं। लेकिन, इस भरोसे की नींव पर अब सवाल उठने लगे हैं और सवाल कोई और नहीं उठा रहे, बल्कि बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने निकले प्रशांत किशोर हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अशोक चौधरी ने यह टिकट लोजपा (आर) से लिया था। यानी चिराग पासवान की पार्टी से ना कि जेडीयू से। प्रशांत किशोर का दावा है कि अशोक चौधरी ने चिराग को रिश्वत दी ताकि उनकी बेटी को टिकट मिल सके। उनके शब्दों में बिहार की जनता को नहीं पता कि यह टिकट कैसे बटते हैं। किसने पैसे दिए, किसने लिए, सब समझौते के पीछे है।