AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 6 दिसंबर की बरसी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस को याद करते हुए केंद्र सरकार और न्यायिक प्रक्रिया पर तीखे सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट को लिखित आश्वासन देने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे नेताओं की मौजूदगी में मस्जिद गिरा दी गई। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने फैसले में इसे “कानून के शासन का उल्लंघन” (Egregious violation of rule of law) माना था। इसके बावजूद, ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। ओवैसी ने सवाल पूछा, “अगर सब बरी हो गए, तो फिर हजारों की भीड़ में मस्जिद किसने गिराई?” उन्होंने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा कि सरकार ने आरोपियों को बरी करने वाले फैसले के खिलाफ अपील क्यों नहीं की।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 6 दिसंबर की बरसी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस को याद करते हुए केंद्र सरकार और न्यायिक प्रक्रिया पर तीखे सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट को लिखित आश्वासन देने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे नेताओं की मौजूदगी में मस्जिद गिरा दी गई। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने फैसले में इसे “कानून के शासन का उल्लंघन” (Egregious violation of rule of law) माना था। इसके बावजूद, ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। ओवैसी ने सवाल पूछा, “अगर सब बरी हो गए, तो फिर हजारों की भीड़ में मस्जिद किसने गिराई?” उन्होंने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा कि सरकार ने आरोपियों को बरी करने वाले फैसले के खिलाफ अपील क्यों नहीं की।