New Year Celebration को लेकर दो मुस्लिम धर्मगुरुओं में तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने 31 दिसंबर की रात मनाए जाने वाले जश्न को शरीयत की रोशनी में ‘नाजायज’ करार दिया है। उनका तर्क है कि इसमें शराब, नाच-गाना और फूहड़ता होती है, जो यूरोपीय और ईसाई संस्कृति है, न कि इस्लामिक या भारतीय। उन्होंने मुस्लिम युवाओं को इससे दूर रहने की हिदायत दी है। वहीं, मौलाना साजिद रशीदी ने इस बयान पर करारा पलटवार किया है। रशीदी ने दो टूक कहा कि “यह देश संविधान से चलता है, शरीयत से नहीं।” उन्होंने रजवी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग केवल टीवी की ‘लाइमलाइट’ में आने के लिए ऐसे विवादित मुद्दे उछालते हैं। रशीदी ने कहा कि लोकतंत्र में सबको आजादी है और दीन में कोई जबरदस्ती नहीं है, इसलिए जिसे मनाना है वह मनाए।
New Year Celebration को लेकर दो मुस्लिम धर्मगुरुओं में तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने 31 दिसंबर की रात मनाए जाने वाले जश्न को शरीयत की रोशनी में ‘नाजायज’ करार दिया है। उनका तर्क है कि इसमें शराब, नाच-गाना और फूहड़ता होती है, जो यूरोपीय और ईसाई संस्कृति है, न कि इस्लामिक या भारतीय। उन्होंने मुस्लिम युवाओं को इससे दूर रहने की हिदायत दी है। वहीं, मौलाना साजिद रशीदी ने इस बयान पर करारा पलटवार किया है। रशीदी ने दो टूक कहा कि “यह देश संविधान से चलता है, शरीयत से नहीं।” उन्होंने रजवी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग केवल टीवी की ‘लाइमलाइट’ में आने के लिए ऐसे विवादित मुद्दे उछालते हैं। रशीदी ने कहा कि लोकतंत्र में सबको आजादी है और दीन में कोई जबरदस्ती नहीं है, इसलिए जिसे मनाना है वह मनाए।