सूरत के दिव्यांग मनोज भिंगारे, जिन्होंने 10 साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए, आज अपने पैरों और मुंह से पेंटिंग बनाकर नेशनल अवार्ड जीत चुके हैं। 22 वर्षों में उन्होंने 2500 से अधिक पेंटिंग बनाई हैं, जिससे वे लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं।
मनोज पेशे से चित्रकार मनोज भिंगारे ने अपनी दिव्यांगता को अपनी कला में बाधक नहीं बनने दिया। उनकी लोकप्रियता व कला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता, क्योंकि उनको पेंटिंग के लिए कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। कहा जाता है कि दिव्यांग चित्रकार मनोज भिंगारे ने स्कूल में सुबह 7 बजे से चित्र बनाना शुरू किया और लगातार 15 घंटे तक अपने मुंह और अपने दोनों पैर से ब्रश के जरिए केनवास पर रंग चित्र बनाए।
सूरत के दिव्यांग मनोज भिंगारे, जिन्होंने 10 साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए, आज अपने पैरों और मुंह से पेंटिंग बनाकर नेशनल अवार्ड जीत चुके हैं। 22 वर्षों में उन्होंने 2500 से अधिक पेंटिंग बनाई हैं, जिससे वे लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं।
मनोज पेशे से चित्रकार मनोज भिंगारे ने अपनी दिव्यांगता को अपनी कला में बाधक नहीं बनने दिया। उनकी लोकप्रियता व कला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता, क्योंकि उनको पेंटिंग के लिए कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। कहा जाता है कि दिव्यांग चित्रकार मनोज भिंगारे ने स्कूल में सुबह 7 बजे से चित्र बनाना शुरू किया और लगातार 15 घंटे तक अपने मुंह और अपने दोनों पैर से ब्रश के जरिए केनवास पर रंग चित्र बनाए।