Digvijay Singh Praises RSS: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की सराहना की है, जिसके बाद कांग्रेस के भीतर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने आरएसएस को एक ऐसा मजबूत संगठन बताया जो साधारण जमीनी कार्यकर्ताओं को शीर्ष पदों तक पहुँचाने की क्षमता रखता है और कांग्रेस को इससे सीखने की नसीहत दी। इस पर पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गांधी की पार्टी को ‘गोडसे के समर्थकों’ से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। विवाद बढ़ता देख दिग्विजय सिंह ने सफाई दी कि वे वैचारिक रूप से संघ के कट्टर विरोधी हैं और रहेंगे, लेकिन उनके प्रबंधन और कार्यक्षमता की सराहना करना कोई गुनाह नहीं है।
स्रोतों के मुताबिक, इतिहास में महात्मा गांधी ने संघ के अनुशासन और जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के युद्ध में स्वयंसेवकों के योगदान की प्रशंसा की थी। सरदार पटेल ने उन्हें देशभक्त माना था और डॉ. अंबेडकर शिविर में छुआछूत की अनुपस्थिति देखकर प्रभावित हुए थे। यहाँ तक कि इंदिरा गांधी के भी संघ नेताओं से गुप्त संबंधों और 1980 के चुनाव में समर्थन लेने की चर्चा रही है। यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि संघ की संगठन शक्ति को स्वीकारना कांग्रेस के भीतर हमेशा से एक विवादास्पद और जटिल मुद्दा रहा है।
Digvijay Singh Praises RSS: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की सराहना की है, जिसके बाद कांग्रेस के भीतर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने आरएसएस को एक ऐसा मजबूत संगठन बताया जो साधारण जमीनी कार्यकर्ताओं को शीर्ष पदों तक पहुँचाने की क्षमता रखता है और कांग्रेस को इससे सीखने की नसीहत दी। इस पर पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गांधी की पार्टी को ‘गोडसे के समर्थकों’ से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। विवाद बढ़ता देख दिग्विजय सिंह ने सफाई दी कि वे वैचारिक रूप से संघ के कट्टर विरोधी हैं और रहेंगे, लेकिन उनके प्रबंधन और कार्यक्षमता की सराहना करना कोई गुनाह नहीं है।
स्रोतों के मुताबिक, इतिहास में महात्मा गांधी ने संघ के अनुशासन और जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के युद्ध में स्वयंसेवकों के योगदान की प्रशंसा की थी। सरदार पटेल ने उन्हें देशभक्त माना था और डॉ. अंबेडकर शिविर में छुआछूत की अनुपस्थिति देखकर प्रभावित हुए थे। यहाँ तक कि इंदिरा गांधी के भी संघ नेताओं से गुप्त संबंधों और 1980 के चुनाव में समर्थन लेने की चर्चा रही है। यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि संघ की संगठन शक्ति को स्वीकारना कांग्रेस के भीतर हमेशा से एक विवादास्पद और जटिल मुद्दा रहा है।