जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, जो नीतीश कुमार के “आंख और कान” माने जाते हैं, इस चुनाव में पार्टी के ‘तारणहार’ साबित हुए हैं। उन्होंने सीट बंटवारे में अहम भूमिका निभाई, जिससे जेडीयू को बीजेपी के बराबर 101 सीटें मिलीं। चुनाव परिणामों में जेडीयू करीब 85 सीटें जीतकर 2020 के प्रदर्शन से लगभग दोगुना प्रदर्शन करती दिख रही है, जो उनके फैसलों पर मुहर लगाता है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद संजय यादव को तेजस्वी यादव का “सारथी” माना जाता है, लेकिन इस चुनाव में उनकी भूमिका विवादों में रही। आरजेडी के कई नेताओं ने उन पर टिकट बंटवारे में पैसे लेने का आरोप लगाया। आरजेडी, जो 2020 में सबसे बड़ी पार्टी थी, इस चुनाव में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। राजनीतिक हलकों में, आरजेडी के खराब प्रदर्शन और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हुए विवाद का ठीकरा संजय यादव पर फोड़ा जा रहा है।
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, जो नीतीश कुमार के “आंख और कान” माने जाते हैं, इस चुनाव में पार्टी के ‘तारणहार’ साबित हुए हैं। उन्होंने सीट बंटवारे में अहम भूमिका निभाई, जिससे जेडीयू को बीजेपी के बराबर 101 सीटें मिलीं। चुनाव परिणामों में जेडीयू करीब 85 सीटें जीतकर 2020 के प्रदर्शन से लगभग दोगुना प्रदर्शन करती दिख रही है, जो उनके फैसलों पर मुहर लगाता है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद संजय यादव को तेजस्वी यादव का “सारथी” माना जाता है, लेकिन इस चुनाव में उनकी भूमिका विवादों में रही। आरजेडी के कई नेताओं ने उन पर टिकट बंटवारे में पैसे लेने का आरोप लगाया। आरजेडी, जो 2020 में सबसे बड़ी पार्टी थी, इस चुनाव में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। राजनीतिक हलकों में, आरजेडी के खराब प्रदर्शन और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हुए विवाद का ठीकरा संजय यादव पर फोड़ा जा रहा है।