हरीश रावत, फोटो - सोशल मीडिया
नई दिल्ली : दिल्ली से लेकर देहरादून तक, भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाए जाने के बाद दुबे ने कोर्ट पर धार्मिक युद्ध भड़काने का आरोप लगाया था। इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निशिकांत दुबे और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे पूरे न्यायिक तंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि यह सिर्फ चीफ जस्टिस पर हमला नहीं है, यह भारत के संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर डायरेक्ट अटैक है। सुप्रीम कोर्ट लोकतंत्र की रीढ़ है, और जब सत्ता पक्ष के सांसद उस पर सवाल उठाते हैं, तो यह खतरनाक संकेत है।
हरीश रावत ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि बीजेपी को पहले से ही पता है कि वक्फ संशोधन कानून में कई असंवैधानिक प्रावधान हैं, इसलिए जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई तो बौखलाहट में ऐसे बयान सामने आए। उन्होंने आगे कहा कि जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया था, तब भी लोगों ने उसे स्वीकार किया, चाहे वह फैसले से सहमत हों या नहीं। मगर अब बीजेपी खुद ही न्यायपालिका को धमकाने पर उतर आई है।
रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर भी सवाल उठाए और कहा कि अगर आपकी नीयत साफ है, तो केवल ट्वीट करने से नहीं चलेगा। आप निशिकांत दुबे को पार्टी से बाहर करें, ताकि लोगों को यह संदेश मिले कि बीजेपी वास्तव में ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करती। वरना यह सिर्फ एक दिखावा है।
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बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अपने बयान में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है, चेहरा दिखाओ, कानून बताओ। अगर हर बात कोर्ट ही तय करेगा, तो संसद और विधानसभा बंद कर देने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहता है और समलैंगिकता को अपराध न मानने के फैसले पर भी सवाल उठाया।