राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और रामभद्राचार्य (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित विज्ञान भवन में ज्ञानपीठ सम्मान समारोह आयोजित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान उन्होंने एक सभा को संबोधित किया। स्वामी रामभद्राचार्य को साहित्य में उनके योगदान के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
रामभद्राचार्य के अलावा लेखक गुलजार ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया एक्स पर रामभद्राचार्य को बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने की तारीफ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि नई दिल्ली में संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने साहित्य और समाज सेवा दोनों क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए श्री रामभद्राचार्य जी की प्रशंसा की।
सीएम योगी ने दी बधाई
योगी आदित्यानाथ ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “आज माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023’ से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई! आपका कालजयी रचना संसार वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है। आपका सम्मान संत परंपरा, भारत की साहित्यिक विरासत एवं राष्ट्रधर्म का सम्मान है।”
आज माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023’ से सम्मानित होने पर… pic.twitter.com/bVlmjOBedH
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 16, 2025
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो 8वीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्यदेवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।