सुरकंडा देवी मंदिर (सौ. सोशल मीडिया)
Surkanda Devi Temple: भारत के पहाड़ी इलाकों पर कई सारे प्रसिद्ध मंदिर बना हुए हैं। वहां पर दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लंबी चढ़ाई करके जाते हैं। आज हम आपको पहाड़ की चोटी पर स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों पर बना हुआ है जहां से आप पूरे शहर और वादियों का नजारा बखूबी देख सकते हैं। इस खूबसूरत मंदिर का नाम सुरकंडा देवी है। यहां पर सर्दियों के समय लोग जाना ज्यादा पसंद करते हैं। बर्फ से ढका हुआ यह मंदिर बादलों के बीच है जिसकी खूबसूरत को आप कभी नहीं भूल पाएंगे।
सुरकंडा देवी मंदिर में पहुंचने के लिए आपको लंबी चढ़ाई करके ऊपर जाना होगा। इसके लिए सीधी खड़ी सीढ़ियां बनी हुई हैं और साथ में रोपवे की भी सुविधा है। इस मंदिर की ऊंचाई 2750 मीटर है। जब यहां पर बर्फ पड़ती है तो इस मंदिर से बहुत ही शानदार नजारा देखने को मिलता है। अगर आप उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो एक बार इस मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं। यहां पर जाने के लिए आपको धनौल्टी या मसूरी पहुंचना होगा। यह मंदिर धनौल्टी से करीब 8 किमी और मसूरी से 33 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की खूबसूरती और ट्रैकिंग आपको सारा गम भुला देगी। बता दें कि इस मंदिर में घूमने का मजा सर्दियों में ज्यादा आता है क्योंकि सारी जगह बर्फ और बादल से ढ़की होती है।
सुरकंडा देवी मंदिर पहुंचने के लिए मसूरी से स्कूटी रेंट पर ले सकते हैं। स्कूटी पर पहाड़ों का सफर बहुत ही मजेदार और रोमांचक होता है। स्कूटी से करीब 1 घंटे की दूरी पर इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है। हालांकि रात के समय स्कूटी चलाने से बचना चाहिए। सर्दियों के समय रात को बर्फबारी के कारण रास्तों पर बर्फ गिरी रहती है जिसकी वजह से स्कूटी चलाने में परेशानी हो सकती है। इसलिए मंदिर घूमने का प्लान दिन में बनाना ज्यादा सही रहता है।
सुरकंडा देवी मंदिर (सौ. सोशल मीडिया)
अगर आप मंदिर में दर्शन के लिए परिवार के साथ जा रहे हैं, तो पैदल की जगह रोपवे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मंदिर में जाने के लिए रोपवे का किराया 200 रुपए है जिसमें आपको ऊपर से नीचे तक लेकर जाया जाता है। जिसमें बैठकर आप शानदार नजारे का आनंद ले सकते हैं। मंदिर में जाने के लिए आपको 5 बजे से पहले जाना होगा। उसके बाद रोपने की सुविधा बंद हो जाती है।
ऊंचाई पर होने की वजह से इस मंदिर की चढ़ाई आसान नहीं है। अगर आप खड़ी सीधी सीढ़ियों से मंदिर जाना चाहते हैं, तो कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सीढ़ियों पर कुछ मिनटों की चढ़ाई आसानी से हो जाती है लेकिन उसके बाद आपकी सांस तेजी से फूलने लगती है। जितना ऊपर सीढ़ियों पर चढ़ते जाएंगे उतनी ही सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चों को साथ में लेकर सीढ़ियों से न जाएं। इसके अलावा ट्रैकिंग करते समय धीरे-धीरे ऊपर चढ़े जिससे आप आसानी से ऊपर पहुंच सकते हैं। साथ में पानी और खाने की कुछ चीजों को भी रखें जिससे रास्ते में आपको दिक्कत न हो।
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मंदिर की सीढ़ियों पर ऊपर चढ़ते हुए आपको एहसास होगा कि आपकी सांस बहुत ज्यादा फूल रही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जितना ऊपर हम जाते हैं ऑक्सीजन लेवल उतना ही गिरता जाता है। हालांकि रुक-रुक कर चढ़ाई करने में मजा भी काफी आता है। मंदिर में पहुंचने के लिए करीब 1 से दो घंटे का समय लग सकता है। मसूरी के पास घूमने के लिए यह सबसे अच्छी जगहै। ध्यान रहे कि इस मंदिर में देर शाम को ट्रेकिंग न करें। रात होने के बाद ट्रैकिंग करना खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा वापस जाने वाले रास्ते भी बर्फ की वजह से फिसलने वाले हो जाते हैं।