फोटो सोर्स - एक्स
नवभारत डिजिटल डेस्क : भारत एक और बड़ी उपलब्धि की ओर कदम बढ़ चुका है, क्योंकि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद, अब भारत का अगला मिशन चंद्रयान-4 है, जिसका सभी भारतीयों को बेसब्री से इंतजार है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में जानकारी दी कि भारत 2027 में चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च करेगा।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से चट्टानों के सैंपल्स को पृथ्वी पर लाना होगा। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक अहम कदम साबित हो सकता है। मंत्री जितेंद्र सिंह ने पीटीआई को दिए एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि चंद्रयान-4 मिशन के तहत भारत के भारी लिफ्ट LVM-3 रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। इस रॉकेट के जरिए मिशन के पांच महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, और इनको सही तरीके से ऑर्बिट में असंबेल किया जाएगा।
यह मिशन चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को और भी गहरा करने में मदद करेगा। चंद्रयान-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष अभियान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है। अब तक के सारे मिशन के अनुभव को देखते हुए, यह भी उम्मीद की जा रही है कि चंद्रयान-4 भी एक बड़ी सफलता साबित होगा और भारत को अंतरिक्ष में और भी सफलता मिलेगी।
Chandrayaan-3 Mission:
On August 27, 2023, the Rover came across a 4-meter diameter crater positioned 3 meters ahead of its location.
The Rover was commanded to retrace the path.It’s now safely heading on a new path.#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/QfOmqDYvSF
— ISRO (@isro) August 28, 2023
भारत 2026 में समुद्रयान मिशन लॉन्च करेगा, जो तीन वैज्ञानिकों को 6,000 मीटर गहरे समुद्र तक भेजेगा ताकि वे समुद्र तल की जानकारी इकट्ठा कर सकें। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह मिशन भारत के अन्य ऐतिहासिक अभियानों जैसे गगनयान के साथ मेल खाता है, जो देश की वैज्ञानिक उत्कृष्टता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
टेक्नोलॉजी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में समुद्रयान मिशन की अहमियत पर जोर दिया। जितेंद्र सिंह ने समुद्रयान की क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह मिशन महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अदृश्य समुद्री जैव विविधता को पहचानने में मदद करेगा, जो देश की आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अहम हैं।