-ओमप्रकाश मिश्र
रांची: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Vidhan Sabha) के नए भवन (New Buildings) में 160 विधायकों (MLAs) के लिए सरकार अत्याधुनिक तकनीकी व्यवस्था का इंतजाम करेगी। विधायक बगैर कागजात के सदन के अंदर हाजिर होंगे। सवाल-जवाब से लेकर सभी आवश्यक कागजात उन्हें उनके टेबल पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध हो जाएगा। उच्च तकनीकी व्यवस्था से लैस सभी सीटें ई-विधान के तहत अत्याधुनिक व्यवस्था से सुसज्जित होगी। सरकार के भवन निर्माण विभाग को इसकी जिम्मेवारी मिली है। अभी इनमें सिर्फ 81 निर्वाचित विधायक ही बैठेंगे। शेष 79 विधायक कब आएंगे, यह तय नहीं है। विधानसभा की सीटें बढ़ेंगी तभी 160 विधायक यहां बैठेंगे। सीटें बढ़ाने की राजनीतिक दलों की पुरानी मांग एक बार फिर सिरे चढ़ रही है। सूबे के सभी राजनीतिक दलों ने एकस्वर से विधानसभा की सीटें बढ़ाने की मांग की है। सभी दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं।
झारखंड विधानसभा की सीटें 81 से बढ़ाकर 160 करने के लिए सत्तारुढ़ झामुमो और कांग्रेस के साथ-साथ विपक्ष दल भाजपा और आजसू एकजुट हैं। सबका कहना है कि सीटें हर हाल में बढ़नी ही चाहिए। पिछले 21 सालों में राज्य की आबादी और वोटरों की संख्या में इतना इजाफा हुआ है कि अब कोई विकल्प भी नहीं है। साथ बने दो राज्यों छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में भी विधानसभा की सीटें बढ़ाई जा चुकी हैं।
विधानसभा की सीटें बढ़ाने के लिए सबसे पहले 15 जून 2005 में विधानसभा की कमेटी बनी थी। तत्कालीन भाजपा विधायक कड़िया मुंडा इस कमेटी के संयोजक थे। चार जुलाई 2005 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी थी। कमेटी ने विधानसभा की सीटें 81 से बढ़ा कर 150 करने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस पर पूरे सदन का अनुमोदन मिला। इसके बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था।
झारखंड विधानसभा की सीटें बढ़ाने के लिए पांच बार राज्य से सर्वदलीय प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। झारखंड विधानसभा ने अब तक पांच बार सीटें बढ़ाने की सिफारिश भेजी है। बहुमत से विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया है। झारखंड विधानसभा के गठन से ही राज्य में सीटें बढ़ाने की बात कही गयी है। इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के अंदर कई बार चर्चा हुई। 2002, 2004, 2005, 2007 और 2009 में प्रस्ताव सदन द्वारा भेजा गया। विधानसभा की ओर से सीटें बढ़ाए जाने की मांग तो होती रही है।
कोडरमा के तत्कालीन सांसद रवींद्र कुमार राय ने 2018 में लोकसभा में झारखंड विधानसभा विधानसभा की सीटों की संख्या भी 81 से बढ़ा कर 150 करने की मांग की थी। जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, पलामू सांसद वीडी राम और तत्कालीन रांची सांसद रामटहल चौधरी ने भी इसका समर्थन किया था।
झारखंड में विधानसभा की सीटें बढ़ाये जाने के साथ-साथ विधान परिषद के गठन की मांग होती रही है। आजसू ने कहा है कि राज्य में विधानसभा परिषद के गठन की मांग की है।
भाजपा के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने इस सम्बन्ध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विधानसभा की सीटें 81 से बढाकर 160 किया जाना चाहिए। इसके लिए कई बार पहल भी हुई है। सीटें बढ़ाने के साथ-साथ विधान परिषद के गठन पर भी विचार गंभीरता से होनी चाहिए। राजनैतिक व प्रशासनिक संतुलन के लिए यह जरूरी है।
कांग्रेस झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड में विधानसभा की सीटें बढ़नी चाहिए। झारखण्ड में 79 अतिरिक्त सीटें बढ़ाकर 160 करनी होगी। राज्य में मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई विधानसभा क्षेत्र के आकार और वोटरों की संख्या तीन विधानसभा क्षेत्र के बराबर हो गई है। सीटें बढ़ेंगी तो क्षेत्र के विकास पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाएंगे प्रतिनिधि।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड में विधानसभा की सीटें बढ़नी ही चाहिए। एससी-एसटी की सीटें किसी भी कीमत पर कम नहीं होनी चाहिए। दूसरे नए राज्यों में भी सीटें बढ़ी हैं। झारखंड में अब तक सीटें दुगुनी हो जानी चाहिए थीं।
आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत ने कहा कि विधानसभा की सीटें दुगुनी करनी ही होगी। छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में विधानसभा सीटें पहले ही बढ़ाई गई हैं। यहां सीटें बढ़ाने के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन करना चाहिए।