नीनो सालुकवद्ज़े (सौजन्य-सोशल मीडिया)
शेटराउ: ओलंपिक में अब तक 9 बार भाग ले चुकी जॉर्जिया की ये निशानेबाज पेरिस ओलंपिक में एक बार फिर खेलों में उतरी है। 55 इस बार ये निशानेबाज सिर्फ मेडल जीतने नहीं बल्कि अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने ओलंपिक में हिस्सा ले रही है।
जॉर्जिया की निशानेबाज नीनो सालुकवद्ज़े ने नौ ओलंपिक में तीन पदक जीतने के बाद खेल को अलविदा कहने का मन बना दिया था लेकिन अपने दिवंगत पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए वह यहां लगातार दसवें ओलंपिक खेलों में भाग ले रही है जो महिला वर्ग में रिकॉर्ड है।
यह 55 वर्षीय खिलाड़ी उद्घाटन समारोह में जॉर्जिया की ध्वजवाहक थीं। वह लगातार दसवें ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली पहली महिला और घुड़सवार इयान मिलर के बाद दूसरी खिलाड़ी है।
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सालुकवद्ज़े ने 1988 में सियोल ओलंपिक खेलों में सोवियत संघ का प्रतिनिधित्व करते हुए महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल में एक स्वर्ण और रजत पदक जीते थे। इसके 20 साल बाद उन्होंने बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक जीता था।
Say hi to Nino Salukvadze, 54 yr old Georgian shooter, who is set to become the first ever athlete (male or female) in history to qualify for 10th consecutive Olympics.
➡️ Nino secured the Olympic Quota (25-meter pistol shooting event) in the ongoing European Games. pic.twitter.com/cEOat4w7mo— India_AllSports (@India_AllSports) June 27, 2023
सालुकवद्ज़े पिछले ओलंपिक खेलों के बाद संन्यास लेने का मन बना चुकी थी लेकिन अपने पिता वख्तंग सालुकवाद्ज़े के शब्द याद आए, जो उन्हें उनकी अंतिम इच्छा की तरह लग रहे थे। इसके बाद ही उन्होंने पेरिस ओलंपिक में भाग लेने का फैसला किया।
शुक्रवार को 25 मीटर पिस्टल क्वालीफिकेशन में प्रतिस्पर्धा करने वाली इस अनुभवी खिलाड़ी ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं मांगा, इसलिए मुझे लगता है कि शायद यह उनकी अंतिम इच्छा थी।”
यह हैरान करने वाली बात है कि 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा का जूनियर विश्व रिकॉर्ड आज भी सालुकवद्ज़े के नाम पर दर्ज है। इसकी बराबरी केवल भारत की मनु भाकर ने की है, जो 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीतकर यहां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
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अपनी दाहिनी आंख की समस्याओं से जूझ रही इस अनुभवी खिलाड़ी ने कहा,‘टोक्यो ओलंपिक के बाद मुझे लगा कि अब मेरा सफर समाप्त हो चुका है। लेकिन इस बीच मेरे पिता का निधन हो गया। वह मेरे कोच भी थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर तुम आगे नहीं खेलती हो तो शायद तुम रोओगी।”
सालुकवद्ज़े ने कहा,‘‘केवल तीन साल की ही तो बात है। मैंने सोचा कि ठीक है मैं प्रयास करूंगी। वह बहुत अच्छे कोच थे क्योंकि हमारा खेल बहुत मनोवैज्ञानिक है।’
उन्होंने कहा,‘‘ जब मुझे बताया गया कि मेरे पास जॉर्जिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोटा स्थान है, तो मैंने तैयारी शुरू कर दीं। इससे पहले कनाडा के एक पुरुष घुड़सवार ने लगातार 10 ओलंपिक खेलों में भाग लिया था और अब उनकी बराबरी एक महिला ने की है जो अच्छा है।” उन्हें 2016 में रियो ओलंपिक में अपने बेटे और पिस्टल निशानेबाज त्सोत्ने माचावरियानी के साथ जॉर्जिया का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिला।
(एजेंसी इनपुट के साथ)