वैभव सूर्यवंशी (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: वैभव सूर्यवंशी ने अपने तूफानी पारी से सभी को मोहित कर दिया है। वैभव ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 35 गेंदों में शतक बनाकर कई कीर्तिमान और इतिहास रच दिए। वैभव के इस प्रदर्शन को देखते हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और भारत के मुख्य कोच ग्रेग चैपल ने कहा कि वैभव पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और एक ऐसा सिस्टम तैयार करने की जरूरत है, जिससे इस खिलाड़ी को बचाया जा सके।
ग्रेग चैपल ने कहा कि जिस तरह से सचिन तेंदुलकर ने किशोर होने के बावजूद सबसे बड़े मंज पर सफलता हासिल की। वो सिर्फ एक प्रतिभा की वजह से नहीं, बल्कि एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम की वजह था। वैभव के लिए भी कुछ इसी तरह का सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत है। जिससे यह लड़का और निखर जाए। चैपल ने वैभव को मैनेज करने के लिए बीसीसीआई को कहा है। उन्होंने बीसीसीआई को चेतावनी दी है कि अगर वैभव को मैनेज नहीं किया गया तो वो अगला विनोद कांबली और पृथ्वी शॉ बन सकते हैं।
ईएसपीएनक्रिकइन्फो के लिए अपने कॉलम में चैपल ने लिखा कि सचिन तेंदुलकर ने किशोरावस्था में सिर्फ़ प्रतिभा की वजह से ही सफलता नहीं पाई, बल्कि उन्हें एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम की वजह से सफलता मिली। एक दृढ़ स्वभाव, एक समझदार कोच, एक परिवार जिसने उन्हें इन सब चीजों से बचाया।
चैपल ने कहा कि विनोद कांबली बहुत टैलेंटेड और होशियार खिलाड़ी थे, लेकिन वे अपने करियर में अनुशासन और शोहरत के बीच संतुलन नहीं बना पाए। उनका करियर जितनी तेजी से ऊंचाई पर पहुंचा, उतनी ही तेजी से नीचे भी गिर गया। उन्होंने पृथ्वी शॉ का भी जिक्र किया। जो एक और होनहार खिलाड़ी हैं, लेकिन जिनका करियर भी कुछ समय के लिए रुक सा गया है। चैपल को उम्मीद है कि पृथ्वी शॉ फिर से अपने खेल में वापसी कर सकते हैं।
कांबली और तेंदुलकर दोनों ने एक साथ क्रिकेट की शुरुआत की थी। तेंदुलकर महान खिलाड़ी बने और उन्होंने 34357 रन बनाकर कई रिकॉर्ड बनाए। जबकि कांबली का करियर जल्दी खत्म हो गया। कांबली ने 17 टेस्ट और 104 वनडे खेले। उन्होंने टेस्ट में लगातार दो दोहरे शतक बनाए। वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे। इस दौरान कांबली का प्रदर्शन निरंतर नहीं रहा। वो मैदान के बाहर की चीजों से निपट नहीं पाए। कांबली उसी में उलझते चले हैं। उन्हें शराब की लग गई। जिसके कारण उनकी सेहत भी बिगड़ गई।
खेल जगत की अन्य सभी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
चैपल ने कहा कि क्रिकेट से जुड़े सभी लोगों जैसे बीसीसीआई, कोच, मीडिया और फ्रेंचाइजी की जिम्मेदारी है कि वे युवा खिलाड़ियों की मदद करें। उन्होंने कहा कि ऐसे खिलाड़ियों को बचाने के लिए बाल मनोवैज्ञानिक प्रोगाम की भी जरूरत है। ताकि किशोर खिलाड़ियों को भावनात्मक रूप से संभाला जा सके।