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केजरीवाल की जगह दिल्ली का अगला CM कौन? फिजाओं में घुला सवाल, जवाब देने वाले मौन!

177 दिनों के बाद अरविंद केजरीवाल ने जेल के बाहर आते ही आतिशी भाषण दिया है और यह कहने में हिचकिचाहट नहीं दिखायी कि जेल से वह और ताकतवर होकर निकले हैं। असली चिंता यह हो गई है कि कहीं अरविंद केजरीवाल की रिहाई और हरियाणा में उनके सक्रिय होने से कांग्रेस के साथ खेल तो नहीं हो जायेगा? हरियाणा से ज्यादा दिल्ली में लोग हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात कर रहे हैं।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Sep 16, 2024 | 12:47 PM

(डिजाइन फोटो)

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अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। इसे लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं कि उनकी जगह सीएम कौन होगा? अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने सीबीआई को फटकार लगाई। 2013 के बाद फिर से एक बार देश की सर्वोच्च अदालत ने उसे पिंजरे में बंद तोता कहा।

177 दिनों के बाद अरविंद केजरीवाल ने जेल के बाहर आते ही आतिशी भाषण दिया है और यह कहने में हिचकिचाहट नहीं दिखायी कि जेल से वह और ताकतवर होकर निकले हैं। असली चिंता यह हो गई है कि कहीं अरविंद केजरीवाल की रिहाई और हरियाणा में उनके सक्रिय होने से कांग्रेस के साथ खेल तो नहीं हो जायेगा? हरियाणा से ज्यादा दिल्ली में लोग हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात कर रहे हैं।

क्या हरियाणा में खेल बिगाड़ेंगे

लोग इस बात पर सहमत हैं कि केजरीवाल हरियाणा में ऐसी कोई स्थिति खड़ी नहीं करेंगे कि कांग्रेस कमजोर पड़े या वो हार जाए। दिल्ली में राजनीति में रुचि रखने वाला हर शख्स केजरीवाल की जमानत के बाद से आम आदमी पार्टी की पिछले 8-10 वर्षों की राजनीति और उसके चुनावी दखल की ताकत और प्रभाव को जांच परख रहा है ताकि यह जान सके कि अगर कुछ खेल हुआ, तो वह कहां तक जा सकता है?

मौजूदा हरियाणा विधानसभा के चुनावी परिदृश्य को देखते हुए लगता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अनुमानित गठबंधन न हो पाने की वजह से आम आदमी पार्टी ने मैदान में अपने पूरे 90 के 90 उम्मीदवार उतार दिए हैं और इसी के समानांतर कई और छोटे गठजोड़ भाजपा और कांग्रेस की आमने सामने की मजबूत लड़ाई को कमजोर करने के लिए अस्तित्व में आ गये हैं।

यह भी पढ़ें- विकिरण प्रौद्योगिकी से भारत की खाद्य सुरक्षा में बदलाव

हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे महज 60,000 वोट मिले थे, जो कि कुल वोटों का 0.48 फीसदी था। इस चुनाव में आप के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में आप को कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र की एक सीट मिली थी और उसकी कई विधानसभाओं में आप ने बढ़त भी हासिल की थी। लेकिन सीट नहीं निकाल सकी। ‘आप’ कुछ भी कर ले, लेकिन हरियाणा में वह कांग्रेस के पक्ष में बन चुके माहौल को पलट नहीं सकती।

गोवा व गुजरात में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया

अगर हरियाणा की जगह गोवा और गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी द्वारा पहुंचायी गई चोट पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि कहीं न कहीं इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के सत्ता में न आने का बहुत बड़ा कारण आम आदमी पार्टी ही थी। 2022 में गोवा विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत लग रही थी। लेकिन आम आदमी पार्टी ने 39 सीटों में अपने उम्मीदवार उतारकर जीतीं तो सिर्फ दो ही सीटें, लेकिन 6.77 फीसदी वोट पाकर तथा सीट शेयरिंग में 5 फीसदी हासिल करके कांग्रेस को हाशिये में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में तो न सिर्फ आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था बल्कि कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने के कारण इसने अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली थी, क्योंकि आम आदमी पार्टी को जहां गुजरात विधानसभा चुनाव- में 41,12,055 वोट मिले थे, जो कि कुल मतदान का 12.92 फीसदी थे और पहली बार आम आदमी पार्टी ने गुजरात में 5 विधानसभा सीटों में चुनाव जीते थे।

राजनीति में कई बार जरा सा धक्का भी गंभीर चोट पैदा कर सकती है। अगर केजरीवाल ने हरियाणा में कांग्रेस का सचमुच खेल बिगाड़ दिया तो केजरीवाल खुद तो हरियाणा में सरकार बनाने लायक ताकत हासिल नहीं कर पाएंगे लेकिन वो हरियाणा के बाद दिल्ली सौ फीसदी गंवा देंगे। इसलिए अनुमान यही है कि चाहे उनकी इस जमानत के पीछे कितने भी सियासी समीकरण हो, लेकिन अगले 20 दिनों में वह हरियाणा में सक्रिय होकर दिल्ली के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारेंगे।

लेख- लोकमित्र गौतम

Who will be the next cm of delhi in place of arvind kejriwal

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Published On: Sep 16, 2024 | 12:47 PM

Topics:  

  • AAP
  • Arvind Kejriwal
  • Delhi Assembly Elections

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