अब ट्रंप समझ रहे भारत का महत्व (सौ. सोशस मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: विलंब, तनातनी व रिश्तों में कुछ समय के लिए आई खटास के बाद अब भारत और अमेरिका के बीच किसी भी समय व्यापार समझौता हो जाने की संभावना है।ट्रंप ने भारत को अमेजिंग कंट्री (विस्मयजनक देश) कहा है।150 करोड़ की आबादी के हमारे देश के साथ अब अमेरिका व्यापारिक रिश्ते जोड़ना चाहता है जबकि ट्रंप ने गत जुलाई माह में भारत को डेड इकोनॉमी या मृतप्राय अर्थव्यवस्था कहा था।इसके बाद उन्होंने सितंबर में कहा कि वह अपने बहुत अच्छे मित्र मोदी से बात करना चाहते है।उन्होंने मोदी को जन्म दिवस, दिवाली की बधाइयां दीं तथा रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के प्रयासों में सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।इसके बावजूद ट्रंप की अस्थिर मानसिकता समूचा विश्व देख रहा है।किसी देश को धमकाने, झूठे दावे करने और मनमानी नीतियां बनाने का उनका स्वभाव किसी से छिपा नहीं है।
अब उन्होंने संकेत दिया है कि अमेरिका ने भारत पर जो 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, वह कम किया जाएगा।उन्होंने कहा कि भारतीय मुझसे नाराज हैं लेकिन शीघ्र ही वह मुझसे प्रेम करने लगेंगे।भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका को एतराज है।अब यह खरीद कम होने की वजह से भारत से संबंध सुधर जाएंगे।ट्रंप को और भी कई शिकायतें हैं।अमेरिका में अनेक उद्योग भारतीय चला रहे हैं।भारत अपना बाजार अमेरिकी कॉर्न (मक्का) और डेयरी प्रॉडक्ट के लिए क्यों नहीं खोलता? अमेरिका फर्स्ट की घोषणा करते समय ट्रंप ने अन्य देशों के हित के बारे में नहीं सोचा।अमेरिका के दबाव में न जाते हुए भारत ने विकल्प खोजना शुरू किया तथा जापान, चीन व रूस से चर्चा शुरू की।इससे ट्रंप भड़क गए थे लेकिन जब उन्हें लगा कि भारत उनकी धमकियों से नहीं डर रहा है तो वह नरमी दिखाने लगे।उन्होंने कहा कि भारत सर्वाधिक तेजी से बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था में से एक है।
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वह अमेरिका का महत्वपूर्ण आर्थिक व सामरिक भागीदार है।रूस से तेल खरीद की वजह से उस पर 25 प्रतिशत दंडात्मक टैरिफ लगाया।अन्य रेसिप्रोकल टैरिफ मिलाकर 50 प्रतिशत आयात शुल्क हो गया।अब भारत और अमेरिका एक बड़ा व्यापार समझौता करने जा रहे हैं।भारत को अमेरिका से मांग करनी चाहिए कि वह रूस से तेल खरीद पर लगाया गया 25 प्रतिशत दंड रद्द करे।दंडात्मक टैरिफ हटाने पर ही समझौता किया जाएगा।इसके अलावा रेसिप्रोकल टैरिफ में भी समय-समय पर कटौती होनी चाहिए।भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार खुला रखा जाए तथा अमेरिकी निवेशक भी भारत में पैसा लगाएं।उच्च स्तरीय तकनीक, हरित ऊर्जा, डिजिटल व्यापार क्षेत्र में सहयोग बढ़या जाए।इसी तरह सुरक्षा, शिक्षा, साइबर सिक्योरिटी में भी सहयोग बढ़ाना होगा।अच्छा होगा कि भारत व्यापार समझौता करने की जल्दबाजी न करे बल्कि टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करे जो टैरिफ को अवैध भी करार दे सकता है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा