तुलसी गाबार्ड का स्वागत तुलसी की माला से (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका के खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड भारत यात्रा पर आई थीं तो उनका स्वागत तुलसी माला पहनाकर किया जाना चाहिए था। उन्हें बताना चाहिए था कि हर हिंदू के घर में तुलसी का पौधा रहता है, पुराने घरों के आंगन में तुलसी वृंदावन रहा करता था जिसमें महिलाएं जल चढ़ाती थीं। दीपावली के बाद आनेवाली देवउठनी एकादशी को तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराया जाता है और तुलसा महारानी नमो-नमो, हरि की पटरानी नमो-नमो की आरती गाई जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम संक्षेप में ‘नमो’ ही है.’ हमने कहा, ‘जब तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया प्रमुख हैं तो उन्हें तुलसी से संबंधित सारी जानकारी अवश्य होगी. हरी पत्तियों वाली तुलसी और कालिमा लिए हुए पत्तों वाली तुलसी को क्रमश: रामा तुलसी और श्यामा तुलसी कहा जाता है. जब व्यक्ति का अंतिम समय आ जाए तो उसके मुंह में तुलसी की पत्ती और गंगाजल डाला जाता है ताकि उसकी सदगति हो. तुलसी की सूखी हुई मंजरी मिट्टी में डाल दो तो नए पौधे उग आते हैं।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, तुलसी गबार्ड को यह भी जानकारी दी जानी चाहिए थी कि भगवान नैवेद्य तभी स्वीकार करते है जब उसमें तुलसीपत्र डाला जाए. कहा गया है- छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन, बिन तुलसा प्रभु एक ना मानी, पूजा के समय भगवान के माथे पर तुलसी चढ़ाई जाती है.’ हमने कहा, ‘तुलसी गबार्ड’ ने अमेरिकी होते हुए भी स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया है. उन्हें मथुरा-वृंदावन की तीर्थयात्रा और बांके बिहारी के दर्शन कराना चाहिए था. वह आरती गा सकती थीं- बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, आरती गाऊं श्यामा तुझे रिझाऊं।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, तुलसी गबार्ड को मनोरंजन के लिए पुरानी फिल्म ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ दिखाई जा सकती थी. उन्हें बिदाई के समय तुलसी का पौधा और तुलसी रामायण गिफ्ट किया जा सकता था. अमेरिका की बर्फबारी में यदि तुलसी का पौधा नहीं पनपता तो वह उसे इनडोर प्लांट के रूप में घर में लगा लेतीं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा