कांग्रेस नेता सचिन पायलट (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, आपको फिल्म ज्वेल थीफ’ में वैजयंतीमाला पर फिल्माए गए गीत के बोल याद होंगे- होंठों में ऐसी बात मैं दबाके चली आई, खुल जाए अगर राज तो दुहाई है दुहाई.’ हमने कहा, ‘ज्वेल थीफ को भूल जाइए, राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता और टोंक के विधायक सचिन पायलट के बयान पर गौर कीजिए. उन्होंने कहा है कि राजनीति में पेट में क्या है, मन में क्या है, वह जुबान पर आना नहीं चाहिए।
अपने पिता राजेश पायलट की मूर्ति के दौसा में अनावरण के समय सचिन ने कहा कि फौजी तो सीधी बात बोलते हैं. हां तो हां और ना तो ना लेकिन राजनीति में उल्टा है.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, सचिन पायलट ने राजनीति की हकीकत उजागर कर दी. नेता जो आश्वासन देते हैं या वादा करते हैं, उससे पलट जाते हैं. उनके मन में कुछ और होता है और जुबान पर कुछ और! नेता के बयान का हमेशा उल्टा अर्थ लेना चाहिए. वह कहे कि मैं जनकल्याण करूंगा, सुशासन दूंगा तो समझ लो कि वह निर्वाचित होने पर शोषण करेगा और सुशासन देने की बजाय भ्रष्टाचार कर जोंक के समान जनता का खून चूसेगा. यदि वह कहे कि मैं पार्टी के प्रति निष्ठावान रहूंगा तो समझ लीजिए कि वह मौका पाते ही दलबदल करेगा।
जिसकी कथनी और करनी एक जैसी हो, ऐसा आदमी राजनीति के लायक नहीं है. सर्कस के खिलाड़ी से भी ज्यादा पलटी मारना उसे आना चाहिए.’ हमने कहा, ‘नेता के ऐसे रंग-ढंग देखकर लोग बोलते हैं- वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया, बंदा ये सीधा-सादा! वफा जिनसे की, बेवफा हो गए, वो वादे मोहब्बत के क्या हो गए!’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कहते हैं कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती।
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शायद इसीलिए सरकार में महिला मंत्रियों की तादाद बहुत कम होती है. वह सहजता या भोलेपन से बहुत सी बातें गुप्त रखने की बजाय दूसरों को बता देती हैं.’ हमने कहा, ‘यह बात सरासर गलत है. किसी भी महिला से पूछो, वह कभी भी अपनी सही उम्र नहीं बताएगी. फिल्मी दुनिया में रेखा और सिमी ग्रेवाल की असली उम्र का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।’