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केवल 14 प्रतिशत ही है निर्वाचित लोकसभा में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व

कुल 74 महिलाएं चुनाव जीतकर सांसद बनीं। इस तरह नई लोकसभा में 13.6 प्रतिशत महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। इनमें कांग्रेस की 14, टीएमसी की 11, झामुमो, राष्ट्रवादी (शरद पवार), अपना दल, राजद, टीडीपी मिलाकर 7, सपा की 5, डीएमके की 3, संयुक्त जनता दल 2 तथा लोजपा (पासवान) की 2 महिला सांसदों का समावेश है।

  • By वैष्णवी वंजारी
Updated On: Jun 17, 2024 | 04:03 PM

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भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ नहीं पा रहा है। चुनाव आयोग के अनुसार इस बार के लोकसभा चुनाव में 543 सीटों पर कुल 8,360 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इनमें से 797 महिलाएं थीं। कुल 74 महिलाएं चुनाव जीतकर सांसद बनीं। इस तरह नई लोकसभा में 13.6 प्रतिशत महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। इनमें कांग्रेस की 14, टीएमसी की 11, झामुमो, राष्ट्रवादी (शरद पवार), अपना दल, राजद, टीडीपी मिलाकर 7, सपा की 5, डीएमके की 3, संयुक्त जनता दल 2 तथा लोजपा (पासवान) की 2 महिला सांसदों का समावेश है। 2019 की तुलना में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई है।

बीजेपी के घोषणापत्र में बचत गट के माध्यम से लखपती दीदी बनाने की बात कही गई थी। कांग्रेस ने भी महिलाओं के खाते में हर महीने 8500 रुपए जमा करने का वादा किया था। इसके अलावा सरकारी नौकरी में 50 फीसदी महिला आरक्षण देने की बात भी कहीं थी। पार्टियों को महिलाओं के वोट तो चाहिए लेकिन उन्हें पर्याप्त उम्मीदवारी नहीं दी जाती। ऐसे में 33 फीसदी महिला आरक्षण कैसे लागू हो पाएगा? महिलाओं की राजनीतिक नेतृत्व क्षमता पर शक करने का कोई कारण ही नहीं बनता। स्वाधीनता पूर्व काल में सरोजिनी नायडू, एनी बेसेंट कांग्रेस की बड़ी नेता थीं। इंदिरा गांधी का लौह नेतृत्व देश ने देखा है। इसके अलावा जयललिता, शीला दीक्षित, मायावती, ममता बनर्जी, उमा भारती मुख्यमंत्री रहीं। किरण बेदी पुडुचेरी की उपराज्यपाल रहीं। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने संसद में अच्छी छाप छोड़ी।

स्मृति ईरानी यद्यपि चुनाव हार गईं लेकिन वह भी केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रभावी थीं। महुआ मोइत्रा विवादों में घिर गई और उनकी सांसदी छिन गई फिर भी वह तेजतर्रार महिला नेता रहीं। सभी पार्टियां कहती हैं कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए, लेकिन उन्हें बहुत सीमित उम्मीदवारी दी जाती है। पार्टियों को चुनाव जीतने की संभावना वाला उम्मीदवार चाहिए। इस लिहाज से पुरुष प्रत्याशियों को ही खड़ा किया जाता है। महिला उम्मीदवारों में से अधिकांश किसी नेता के परिवार से आती हैं।

कुछ राजनीति में अपने दम पर भी आगे बढ़ती हैं जैसे कि कंगना रनौत जो कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश से लोकसभा चुनाव जीतीं। स्व। सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज से भी उम्मीद की जा सकती है कि वे एक कुशल नेता के रूप में उभरेंगी। पवार परिवार से सुप्रिया सुले व अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा संसद में पहुंची है। 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए संसद में सीटों की संख्या बढ़ाकर उतनी सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व की जा सकती हैं। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Only 14 percent of women are under represented in the elected lok sabha

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Published On: Jun 17, 2024 | 04:03 PM

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  • Lok Sabha

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