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मोबाईल की जानलेवा लत, समाज को होना होगा संवेदनशील

झारखंड में 16 वर्षीय एक किशोर की मृत्यु के मामले ने समाज को झकझोर कर रख दिया। पूर्वी सिंहभूम में रहने वाले अमित सिंह की उस समय जान चली गई, जब वह लेटे-लेटे मोबाइल पर गेम खेलते हुए रसगुल्ला खाने लगा जो उसके गले में अटक गया।

  • By किर्तेश ढोबले
Updated On: Aug 21, 2024 | 11:44 AM

(डिजाइन फोटो)

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झारखंड में 16 वर्षीय एक किशोर की मृत्यु के मामले ने समाज को झकझोर कर रख दिया। पूर्वी सिंहभूम में रहने वाले अमित सिंह की उस समय जान चली गई, जब वह लेटे-लेटे मोबाइल पर गेम खेलते हुए रसगुल्ला खाने लगा जो उसके गले में अटक गया, जिससे उसका दम घुट गया। साफ तौर पर देखा जाए तो जान इसलिए चली गई क्योंकि रसगुल्ला खाने के बजाय उसने सीधे निगलने का प्रयास किया। जबकि पूरे घटनाक्रम का असली खलनायक मोबाइल है।

मोबाइल ने जिस तरह मानव जीवन को सुलभ बनाया है, उसी तरह उसके कई ऐसे दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। ताजा मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर है क्योंकि इसमें 16 वर्ष के किशोर को जान से हाथ धोना पड़ा। समाज में मोबाइल को लेकर मर्यादा नहीं होना इसका एक प्रमुख कारण है। इसकी शुरुआत माता-पिता को खुद से करनी होगी। मोबाइल का अति प्रयोग किसी भी हालत में रोकना होगा।

यह भी पढ़ें:- झारखंड और जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा, सिर्फ दो राज्यों में चुनाव से सवालों के घेरे में इलेक्शन कमिशन

मोबाइल के साथ-साथ सस्ता डाटा उपलब्ध होने के कारण अब एक-एक दिन में 8-10 घंटे का समय खराब कर रहे हैं। सोशल मीडिया ने लोगों का जीवन बदतर करके रख दिया है। वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचेट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने आम आदमी को अपना गुलाम बना लिया है। हालत यह है कि कोई बाहर का आदमी यह काम नहीं कर रहा। नवजात बच्चों के हाथ में माता-पिता इसलिए मोबाइल दे रहे हैं, जिससे उनके मोबाइल-प्रेम में कोई खलल न पड़े। गृहिणियां को अक्सर देखा जा रहा है कि जब उनके गृह-कार्य का समय होता है तो वो बच्चों को मोबाइल थमा देती हैं।

खासकर मध्यवर्गीय घरों में तो स्मार्टफोन एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर और प्रोजेक्ट्स के नाम पर बच्चों को मोबाइल थमाया गया और अब हालत यह है कि बच्चे पढ़ाई छोड़कर सिर्फ मोबाइल और सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं। सरकार, संसद, राजनीतिक दल और जागरूक नागरिकों की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वो इस भीषण होती सामाजिक समस्या के नियंत्रण पर विचार करें। सिर्फ कानून बनाने से सब कुछ नहीं होगा। पालकों को और खासकर बुजुर्गों को यह देखना होगा कि मोबाइल की लत ने उनके परिजनों और खासकर बच्चों को कितना खोखला किया है।

लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Mobile addiction is deadly society will have to be sensitive

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Published On: Aug 21, 2024 | 11:29 AM

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