पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के दौरान मूनलाइटिंग करने से मना किया है. विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी और इन्फोसिस के प्रमुख सलिल पारेख ने कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी दी है. आपकी इस बारे में क्या राय है?’’
हमने कहा, ‘‘मूनलाइट का अर्थ चांदनी होता है. आपने कहावत सुनी होगी- चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात! पुराने फिल्मी गीतों में चांदनी का जिक्र हुआ करता था जैसे कि- तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी, नहीं दिल का लगाना कोई दिल्लगी! यह गीत श्याम और सुरैया पर फिल्माया गया था. एक अन्य गीत है- ये रात, ये चांदनी फिर कहां, सुन जा दिल की दास्तां! यह गाना देव आनंद और गीता बाली पर फिल्म ‘जाल’ के लिए फिल्माया गया था. यश चोपड़ा की फिल्म का नाम ‘चांदनी’ था जिसमें ऋषि कपूर और श्रीदेवी ने अभिनय किया था.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आप मूनलाइटिंग का टेक्निकल मतलब नहीं समझ रहे हैं. इसका आशय है कि वर्क फ्रॉम होम या घर में बैठकर काम करने की छूट मिलने पर आईटी कर्मचारियों ने अपनी कंपनी के अलावा दूसरी कंपनियों के लिए भी काम करना शुरू कर दिया. ऐसा डबल एंप्लॉयमेंट कोई मालिक बर्दाश्त नहीं करेगा. यह अनुशासन और कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ है. इस दोहरे रोजगार को धोखेबाजी माना जाता है तथा ऐसे कर्मचारी की नौकरी से छुट्टी भी की जा सकती है.’’
हमने कहा, ‘‘कुछ कर्मचारी अपना जीवनस्तर सुधारने के लिए अतिरिक्त कमाई का साधन जुटाते हैं. मालिक भी एक कंपनी के साथ चार और कंपनी खोल लेता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राजा और रंक की क्या बराबरी! कर्मचारी को शत-प्रतिशत वफादार रहना चाहिए. वह मूनलाइटिंग या चांदनी रातों का कोई हक नहीं रखता. जिस कंपनी में काम करता है, वहां पूरी एनर्जी लगाकर मनोयोग से काम करे. यदि कंपनी के ध्यान में आ गया कि कर्मचारी दूसरे के लिए भी काम कर रहा है या कोई साइड बिजनेस चला रहा है तो उस पर एक्शन ले सकती है. इसलिए उसे मूनलाइटिंग से दूर रहना चाहिए. कभी-कभी वह चुपके से गुनगुना सकता है- चंदा की चांदनी में झूमे-झूमे दिल मेरा!’’