दिल्ली हाईकोर्ट के जज का मामला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, गर्मी का मौसम शुरू हो गया है. इस दौरान फायर ब्रिगेड को सतर्क रहना होगा क्योंकि कहीं भी, कभी भी आग लग सकती है. आग माचिस की तीली से लेकर शार्टसर्किट तक किसी भी तरीके से लग जाती है. जंगल की आग सूखे पत्तों पर जलती बीड़ी या सिगरेट फेंक देने से लगती है. अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के जंगलों में प्राय: हर साल आग लगती है. आग लगने की एक वजह वृक्षों की डालियों का आपस में रगड़ खाना या घर्षण भी है।’
हमने कहा, ‘राजकपूर ने ‘आग’ नामक फिल्म बनाई थी. अंग्रेजों के जमाने से लेकर आज तक शरारती लोग दंगे की आग भड़काते आए हैं. मणिपुर की आग इतनी भयंकर थी कि प्रधानमंत्री मोदी उसे झांकने भी नहीं गए. वे मास्को, माल्टा, मेसीडोनिया, मैडागास्कर कहीं भी जाएंगे लेकिन मणिपुर हरगिज नहीं जाएंगे. अग्नि का पौराणिक महत्व है. राम ने सीता की अग्नि परीक्षा ली थी. द्रौपदी यज्ञ की अग्नि से प्रकट हुई थीं. राजा द्रुपद ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था लेकिन अग्नि देव ने पुत्री के रूप में द्रौपदी सौंप दी।
हिंदू विवाह पद्धति में अग्नि के 7 फेरे लेने पड़ते हैं कौरवों ने पांडवों को जीते जी जलाने के लिए लाख के महल या लाक्षागृह की रचना की थी लेकिन महात्मा विदुर के सतर्क करने पर पांडव बच निकले. हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लगी आग से रावण की लंका जलाई थी. वहां सिर्फ विभीषण का घर नहीं जला जो कि फायरप्रूफ था. नारद मुनि देवताओं और दानवों के बीच आग लगाने का काम करते थे।
महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद धृतराष्ट्र व गांधारी का जंगल की आग में जलकर अंत हो गया था. जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित का तक्षक से बदला लेने के लिए नागयज्ञ किया था जिसमें दूर-दूर से नाग आकर आग की लपटों में गिरने लगे थे।
नवभारत विशेष से जुड़े सभी रोचक आर्टिकल्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आग किसी गरीब की झोपड़ी से लेकर जज के बंगले तक लग सकती है. जब भ्रष्ट जज का मकान जलता है तो फायर ब्रिगेड वालों की नजर करोड़ों रुपए के नोटों के बंडलों पर पड़ती है. कुछ साबुत तो कुछ अधजले नोटों के बंडल बरामद हो जाते हैं. आग नहीं लगती तो जज के भ्रष्टाचार का सबूत ही सामने नहीं आता. अब जज का बंगला, काली कमाई और प्रतिष्ठा सबकुछ तबाह हो गए।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा