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शरणार्थियों के साथ न्याय, आखिरकार CAA में नागरिकता देना शुरू

  • By चंद्रमोहन द्विवेदी
Updated On: May 29, 2024 | 03:35 PM
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आखिर सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़ित किए जानेवाले हिंदू, सिखों, बौद्धों, जैन व पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने की पहल शुरू हो गई। संसद में दिसंबर 2019 में यह कानून पास होने के बाद से 25,000 लोगों ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया। इस कानून की नियमावली तैयार होने के बाद 14 लोगों को प्रमाणपत्र के साथ सीएए के अंतर्गत भारतीय नागरिक का दर्जा दिया गया। इस कानून की जड़ें भारत के विभाजन की त्रासदी से जुड़ी हैं। जब पाकिस्तान बना तब वहां हिंदुओं की संख्या करीब 23 प्रतिशत थी। 

अब यह तादाद बुरी तरह घटकर सिर्फ डेढ़ प्रतिशत रह गई है। 76 वर्षों में इतने हिंदू कहां गए इसकी कल्पना की जा सकती है! पाकिस्तान में हिंदू ललनाओं का अपहरण कर उनका जबरन धर्मांतरण कर निकाह कराया जाता है। गुंडों के गिरोह जबरन उठाकर ले जाते हैं और पुलिस इस पर कोई एक्शन नहीं लेती। कितने ही लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर मौत के घाट उतारा जाता है। यह सब दशकों से चला आ रहा था लेकिन तत्कालीन सरकारें इसे पड़ोसी देशों का आंतरिक मामला कहकर नजरअंदाज करती रहीं। 

सीएए के प्रथम चरण में कम से कम 350 लोगों के आवेदन सरकार ने मंजूर किए। पाक, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है और वहां अल्पसंख्यक समुदाय बेहद असुरक्षित है। कुछ माह पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सभी धर्मों के नागरिक अपने विश्वास के मुताबिक धर्म का पालन कर सकते हैं लेकिन इस फैसले के खिलाफ वहां तीव्र विरोध होने लगा। हिंदू मंदिरों पर हमले व तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। सीएए में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया क्योंकि इसका कोई औचित्य नहीं था। 

दुनिया के 54 देश इस्लामी हैं जहां उन्हें प्रताड़ित करने का सवाल ही नहीं उठता। प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने पाकिस्तान बनने के बाद कहा था कि गैरमुस्लिम कभी भी भारत वापस आ सकते हैं सीएए कानून के तहत शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का काम शुरू हो चुका है। ये वो लोग हैं जो शरणार्थी बनकर लंबे समय से हमारे देश में रह रहे थे और धर्म के आधार पर भारत के बंटवारे का शिकार हुए थे। इसके पूर्व आजमगढ़ की सभा में उन्होंने कहा कि कोई माई का लाल इस कानून को खत्म नहीं कर सकता। सीएए को विपक्ष ने भेदभावपूर्ण बताया है जबकि यह न्यायपूर्ण और मानवीय आधार पर बना कानून है जिसमें पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को भारत में शरण के साथ ही नागरिकता प्रदान की जा रही है।
 

Citizenship finally started to be given to refugees under caa

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Published On: May 18, 2024 | 11:29 AM

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