गंगा का मैला पानी (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, कहीं गहरी आस्था और अगाध विश्वास है तो कहीं अनास्था और घोर अविश्वास! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय श्रद्धा से आप्लावित है. जब उन्होंने पहली बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था तब कहा था- मैं यहां खुद नहीं आया, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है. अब मोदी कहते हैं कि मुझे आत्मानुभूति होती है कि मैं मां गंगा का पुत्र हूं! इसके सर्वथा विपरीत हिंदू हृदय सम्राट बाल ठाकरे के भतीजे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने महाकुंभ में स्नान करनेवालों को लेकर विवादित बयान दिया।
उन्होंने कहा कि गंगा का पानी गंदा है. मैं कभी यह पानी छुऊंगा भी नहीं. मेरे पार्टी सहयोगी बाला नांदगांवकर कमंडल में गंगाजल लेकर आए और मुझसे पीने को कहा तो मैंने कहा- कौन पिएगा ऐसा पानी! मुंबई की सभा में मनसे के कुछ पदाधिकारी गैरहाजिर थे. कारण बताया गया कि वे कुंभ मेले में गए हैं. मैंने उनसे कहा कि इतने पाप क्यों करते हो कि उन्हें धोने गंगा में जाना पड़ता है? इस देश में एक भी नदी स्वच्छ नहीं है.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आस्था हमेशा तर्क पर भारी पड़ती है।
कुंभ मेले में करोड़ों लोगों ने स्नान किया. प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उनके कैबिनेट मंत्रियों के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी संगम में डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं ने भारी भीड़, असुविधा, रास्ते में लगे जाम की भी परवाह नहीं की. गाड़ियां रोक दिए जाने से कितने ही लोग पैदल पहुंचे. यह है मां गंगा की महिमा. हिंदुओं के लिए गंगा, गायत्री और गौमाता अत्यंत पूज्य हैं. जहां तक पानी के मैले होने की बात है, जो जल निरंतर तेजी से प्रवाहित होता रहता है वह मैला कैसे होगा?
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हमने कहा, ‘यह बात भी अपनी जगह है कि गंगा किनारे बसे शहरों का सीवेज व नालों का पानी तथा चमड़ा कारखानों का दूषित जल गंगा में बहाया जाता है. नमामि गंगे योजना में करोड़ों रुपए खर्च करने पर भी हर जगह पर जल शुद्धिकरण की व्यवस्था नहीं की गई है.’ पड़ोसी ने कहा, निशानेबाज, गंगा पर बहुत सी फिल्में बनी है- गंगा की लहरें, गंगा की सौगंध, गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो! वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि गंगा के पानी में बड़ी तादाद में बैक्टीरियोफेज नामक ऐसे जीवाणु हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं. इसलिए गंगा का जल कभी अस्वच्छ या बासी नहीं होता. लोग अपने घर में इसे वर्षों तक रख सकते हैं. जहां आस्था है, वहां मन चंगा तो कठौती में गंगा!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा