वारेन बफे ने दीर्घायु का राज खोला (सौ.सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हमने सुना है कि शक्कर और नमक दोनों ही सफेद जहर होते हैं।इनका जितना कम सेवन किया जाए, उतना ही अच्छा! नागपुर के विख्यात स्वतंत्रता सेनानी जनरल मंचरेशा आवारी ने 1930 के नमक सत्याग्रह के समय से नमक खाना बिल्कुल बंद कर दिया था फिर भी उन्होंने दीर्घायु पाई।फलों और सब्जियों में प्राकृतिक नमक रहता है इसलिए अलग से नमक क्यों खाया जाए’ हमने कहा, ‘हर नौकर अपने मालिक का नमक खाता है।
नमक को साल्ट और वेतन को सैलरी कहा जाता है।मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दरोगा’ बड़ी प्रसिद्ध थी।बिना नमक के खाने में कोई स्वाद नहीं रह जाएगा।समुद्री नमक, काला नमक, सेंधा नमक कौन नहीं खाता! घर-घर में टाटा का नमक मिल जाएगा।लोग होटल में खाने जाते हैं तो नमकदानी से और नमक छिड़क लेते हैं।कितने ही लोगों की आदत नमक-मिर्च लगाकर बातें करने की होती है।कुछ लोग जले पर नमक छिड़कने का काम करते हैं।फिल्म शोले में कालिया कहता है- सरदार मैंने आपका नमक खाया है तो गब्बर सिंह कहता है- अब गोली खा!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जब किसी के शरीर में पानी की कमी या डिहाइड्रेशन हो जाता है तो उसे ओआरएस पाउडर या नमक-शक्कर पानी में घोलकर पिलाया जाता है।नमक की वजह से लोग नमकहलाल या नमकहराम हो जाते हैं.’ हमने कहा, ‘नमक पर बहुत बात हो गई, अब शक्कर पर चर्चा करें।महाराष्ट्र की राजनीति पर शुगरलॉबी का प्रभुत्व रहा है।विभिन्न पार्टियों के नेताओं की चीनी मिलें हैं।डायबिटीज के मरीज को मीठा खाने से मना किया जाता है।मीठी चीजें खाने की वजह से पब्लिक स्कूल के बच्चों का मोटापा बढ़ने की खबर हाल ही में छपी थी।कुछ लोग मीठे ठग होते हैं।आपने कहावत सुनी होगी- खड़ा तिलक, मधुरियावाणी, दगाबाज की यही निशानी!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है।परहेज करनेवाले भी अल्पायु साबित होते हैं जबकि सबकुछ खानेवाले भी लंबी आयु तक जीवित रहते हैं।इसकी मिसाल हैं खरबपति व बर्कशायर हाथवे के सीईओ वारेन बफे जिनकी आयु 94 वर्ष है।वह रोज 5 बोतल कोकाकोला पीते है जिसमें 195 ग्राम चीनी होती है।इसके अलावा 15 डोनट खाते हैं।दिनभर में 2700 कैलोरी की भारी भरकम खुराक लेते हैं।उन्होंने कहा कि मेरा खानपान 6 वर्ष के अमेरिकी बच्चे जैसा है।वे चैरिटी या परोपकार करने में आगे रहे हैं।वे मानते हैं कि अनावश्यक तनाव न लेते हुए उद्देश्यपूर्ण और सक्रिय जीवन जीने से उन्हें लंबी उम्र मिली है।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा