अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का मुद्दा शीघ्र ही हल हो सकता है. ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिए जाने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने इम्पेरिकल डेटा तैयार कर अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दे दी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी राजनीतिक आरक्षण रद्द किए जाने को राज्य सरकार के लिए आघातकारी माना जा रहा था किंतु इसके बाद यह प्रमाण फिर अदालत में ले जाया गया.
इस समय सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे चुनाव लेने की अनुमति दी है जहां ओबीसी आरक्षण नहीं है परंतु इसके बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष इस बात पर दृढ़ता से अड़े हुए हैं कि आरक्षण मिलने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे. इस दौरान न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रखते हुए पिछड़ा वर्ग आयोग के पाले में गेंद डाल दी है. यह दलील दी गई है कि आयोग के निर्णय के अनुसार आरक्षण लागू किया जाए.
महाराष्ट्र सरकार के 6 विभागों ने मिलकर इम्पेरिकल डेटा जमा किया है. स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव में ओबीसी का आरक्षण पूर्णवत रखने के लिए राज्य सरकार ने आवश्यक सांख्यिकी आंकड़े तैयार रखे हैं. राज्य सरकार की विविध संस्थाओं और शासकीय प्रणाली द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार राज्य में ओबीसी विद्यार्थियों की तादाद 30 प्रतिशत और ओबीसी किसानों की संख्या 39 प्रतिशत बताई गई है.
अंतरिम रिपोर्ट में राज्य सरकार के उस कानून का समर्थन किया गया है जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को 27 प्रतिशत तक आरक्षण कोटा दिया गया है. इसके साथ ही यह शर्त भी रखी गई है कि एससी व एसटी मिलाकर कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न होने पाए. यह अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी. यदि देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसे स्वीकृति दे दी तो इससे ओबीसी आरक्षण पूर्वगत हो जाएगा. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसके पहले मार्च 2021 में रोक लगा दी थी और महाराष्ट्र सरकार से एक आयोग गठित कर ओबीसी डेटा देने को कहा था. सितंबर 2021 में राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर ओबीसी कोटे को अनुमति दी थी.
महाराष्ट्र में आगामी महीनों में 15 महानगरपालिकाओं के चुनाव होने हैं जिनमें वृहतमुंबई महापालिका का चुनाव भी शामिल है. महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 243 की पंचायतों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए कोटे का प्रावधान करता है उसमें स्वीकार किया गया है कि नागरिकों के पिछड़े वर्ग के लिए राज्य आरक्षण दे सकता है.
अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी महीनों में ओबीसी का डेटा जमा करने के लिए बड़ा एवं व्यापक सर्वे कराया जाएगा. अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार से प्राप्त ओबीसी डेटा पर आधारित है. आयोग की अंतरिम रिपोर्ट आरक्षण कोटा पर राज्य के कानून का समर्थन करती है. वैसे तो ओबीसी कोटा की अधिकतम सीमा 27 प्रतिशत रहेगी लेकिन जिस जिले में एससी या एसटी कोटा ज्यादा होगा वहां ओबीसी कोटा घट जाएगा.